FIR में केजरीवाल का नाम डालना दिल्ली पुलिस के लिए बना मुशीबत

नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग में भ्रष्टाचार के खिलाफ एंटी करप्शन ब्रांच के एफआईआर ने दिल्ली पुलिस को ही उलझन में डाल दिया है। एफआईआर में आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल के साथ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम डालने के बाद अब दिल्ली पुलिस उस पर मिट्टी डालने की कोशिश में लग गई है। कोशिश हो भी क्यों न। कहीं न कहीं दिल्ली पुलिस में भी ये चर्चा है कि जल्दबाजी में गलत कदम तो नहीं उठ गया।

एंटी करप्शन ब्रांच इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया को अलग-अलग बुलाकर सफाई देने में जुटी है। दलील ये कि शिकायतकर्ता ने लिखित शिकायत में जो नाम दिए थे उस शिकायत को बिना छेड़छाड़ एफआईआर में लिख दिया गया। दिल्ली पुलिस के तहत आने वाली एंटी करप्शन ब्रांच के लिए यही दलील दिल्ली पुलिस के दोहरे मापदंड को दर्शाती है।

FIR में केजरीवाल का नाम डालना दिल्ली पुलिस के लिए बना मुशीबत

सबसे पहले हम बात करते हैं दिल्ली महिला आयोग की। कांग्रेस नेता और दिल्ली महिला आयोग की पिछली अध्यक्ष बरखा सिंह ने एंटी करप्शन ब्रांच में आयोग में फैले भ्रष्टाचार को लेकर लिखित शिकायत की थी। शिकायत में कहा गया था कि दिल्ली महिला आयोग में प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताएं हो रही हैं। बरखा सिंह ने अपनी शिकायत में महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल और अरविंद केजरीवाल सहित कई लोगों पर आरोप लगाए थे।

एंटी करप्शन ब्रांच ने मंगलवार यानी 20 सितंबर को इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली। चौंकाने वाली बात ये है कि एंटी करप्शन ब्रांच की इस एफआईआर में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल के साथ साथ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम भी आरोपियों की सूची में डाला गया है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़कर दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने वाले अरविंद रेजरीवाल को भ्रष्टाचार के मामले में हुई एफआईआर में खुद का नाम डाला जाना बेहद नागवार गुजरा।

ऑपरेशन के बाद घर में आराम कर रहे अरविंद केजरीवाल को जब ये बात पता चली तो आनन-फानन में उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस बुलाई। महज दो से तीन मिनट की प्रेस कॉंफ्रेंस में अरविंद ने केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि पूरी एफआईआर में कहीं नहीं लिखा कि मेरा यानी अरविंद केजरीवाल का आखिर रोल क्या है। अरविंद ने कहा कि आने वाले कुछ दिनों में वो इस मसले को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएंगे।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ हुई एफआईआर के मसले को तूल पकड़ता देख एसीबी यानी एंटी करप्शन ब्रांच के मुखिया और ज्वाइंट सीपी एम के मीणा ने सफाई दी कि शिकायतकर्ता ने केजरीवाल का नाम दिया है- इसीलिए उनका नाम FIR में डाला गया है। मीणा के मुताबिक ये नाम विभाग ने नहीं डाला बल्कि शिकायतकर्ता ने डाला है। हम शिकायतकर्ता की शिकायत के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकते। मीणा के मुताबिक विभाग ने जांच में केवल स्वाति मालीवाल और उनके साथ 10 और लोगों का नाम डाला है। इसके उलट एफआईआर में साफ तौर पर स्वाति मालिवाल, अरविंद केजरीवाल का नाम लिखा है। दिल्ली पुलिस यानी एंटी करप्शन ब्रांच दावा कर रहा है कि एफआईआर मे शिकायकर्ता की लिखित शिकायत को ही डाला जाता है पुलिस उसके साथ छेड़ छाड़ नहीं की जा सकती है।

दिल्ली पुलिस के इस दोहरे मापदंड के लिए कुछ दिन पहले हुई एक घटना पर नजर डालते हैं। करीब दो सप्ताह पहले दिल्ली के सिविल लाईन इलाके के रसद एवं आपूर्ति विभाग में तैनात एक दो नहीं बल्कि कुल 24 महिला पुलिसकर्मियों ने अपने ही विभाग के एक इस्पेक्टर एसबी यादव के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। इनमें से एक महिला ने यौन उत्पीड़न और बाकी 23 महिलाओं ने इंस्पेक्टर यादव पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था। इन 24 महिलाओं ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर, वूमेन सेल और इलाके के डीसीपी सहित तमाम आला अधिकारियों को लिखित शिकाय़त दी थी और इंस्पेक्टर एसबी यादव पर गंभीर आरोप लगाए थे।

इस मामले में किसी और ने नहीं बल्कि दिल्ली पुलिस की ही 24 महिला कांस्टेबल्स ने लिखित शिकायत दी थी। लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन लिखित शिकायतों पर मुकदमा दर्ज करना उचित नहीं समझा। दिल्ली पुलिस ने अपने ही महकमे की 24 महिला कांस्टेबल्स की शिकायत कई महीनों तक दबाए रखी। जब मीडिया में खबर आई तो आनन-फानन में दिल्ली पुलिस ने सेक्सुअल हरासमेंट कमेटी बनाकर सारे मामलों को सेक्सुअल हरासमेंट के तहत जांच कराने की घोषणा कर दी।

ध्यान देने वाली बात ये है कि अभी भी पुलिस ने इस मामले में कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया है। नियमों के मुतकाबिक यौन उत्पीड़न और उत्पीडन के आरोप में पुलिस को तत्काल एफआईआर दर्ज करनी चाहिए थी। इस मामले में किसी एक महिला ने नही बल्कि 24 महिला पुलिसकर्मियों ने लिखित शिकायत दी थी।

इस तरह के आरोपों को लेकर तुरंत एफआईआर दर्ज कर दिल्ली पुलिस विधायकों तक को गिरफ्तार करने से नहीं पीछे हटती तो आखिर इस मामले में पुलिस एफआईआर दर्ज करने से क्यों बच रही है। एसीबी के मुखिया दलील दे रहे हैं कि शिकायतकर्ता की लिखित शिकायत के साथ छेड़ छाड़ नही की जाती और उसी मजमून को एफआईआर में डाला जाता है। लेकिन 24 महिला कांस्टेबलों के मामले में आरोपी इंस्पेक्टर का नाम लिख जाने के बावजूद इंस्पेक्टर के खिलाफ कार्रवाई तो दूर एफआईआर तक दर्ज नहीं की जाती। सवाल ये उठता है कि क्या दिल्ली पुलिस अपराधिक मामलो को अलग अलग चश्में से देख रही है। क्या ये दोहरा मापदंड नहीं है।

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