आजमगढ़. देश में हुए विभिन्न आतंकी हमलों में शामिल आजमगढ़ के मोस्टवांटेड आईएसआईएस के संरक्षण हैं। हाल में बड़े शाजिद के आईएसआईएस के लिए लड़ते हुए इराक में मारे जाने की खबर भी आ चुकी हैं। यह अलग बात है कि इसकी अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
वहीं, मुंबई से आईएसआईएस से जुड़ने के लिए भागकर ईराक गये चार युवकों में एक आजमगढ़ का था। उक्त युवक भले ही वांटेड न रहा हो लेकिन उसका ईराक जाना इस बात की पुष्टि करता है कि कहीं न कही आईएसआईएस की पहुंच आजमगढ़ तक है।
वैसे भी जिन छह मोस्टवांटेड की तलाश खुफिया एजेंसी के लोगों को है उनमें पांच के बारे में कोई सूचना न मिलना भी इस बात को पुख्ता करता है कि वे भारत छोड़ चुके हैं। इन संदिग्ध आतंकियों के लिए पाक के बाद आईएसआईएस के संरक्षण से अधिक सुरक्षित ठिकाना कोई और नहीं हो सकता है।
बता दें कि आजमगढ़ का नाम पहली बार 1993 में मुंबई बम धमाकों में सामने आया था जब सरायमीर के अबूसलेम के इसमें शामिल होने की पुष्टि हुई। वर्ष 2007 के आखिरी दिनों में रानी की सराय क्षेत्र के सम्मोपुर निवासी हकीम तारिक और वर्ष 2008 के अगस्त महीने में अहमदाबाद विस्फोट के मास्टर माइंड बीनापारा गांव निवासी अबु बशर को गिरफ्तार किया गया।
इसके बाद 19 सितंबर 2008 को बटला हाउस कांड हुआ जिसमें संजरपुर के साजिद व आतिफ मारे गये जबकि सैफ को गिरफ्तार किया गया। इन घटनाओं के बाद एनआईए ने जिन 13 मोस्टवांटेड आतंकियो की सूची जारी की उनमें नौ आजमगढ़ के थे। इन वांटेड आतंकियों में 31 जनवरी 2010 को बिलरियागंज थाना क्षेत्र के खालिसपुर गांव निवासी शहजाद को गिरफ्तार किया गया। दो साल पूर्व असदुल्लाह अख्तर उर्फ हड्डी की गिरफ्तारी भटकल के साथ नेपाल बार्डर से हुई थी।
आज भी छह मोस्टवांटेड मिर्जा शादाब वेग, बड़ा शाजिद, डा. शहनवाज, आरिज, मोहम्मद राशिद, मोहम्मद खालिद का कहीं पता नहीं है। राशिद को छोड़ दिया जाय तो बाकी पर बीस-बीस लाख का ईनाम है। खुफिया एजेंसी, एटीएस को आज भी इनकी तलाश है। हाल में यह खबर आई कि बड़ा शाजिद आइएसआइएस के लिए लड़ते हुए इराक के रक्शा शहर में अमेरिकी हमले में मारा गया। वैसे इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है और ना ही उसकी लाश बरामद हुई है।
परिवार के लोग इस मुद्दे पर दो टूक कहते हैं कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं मिली है। पहले भी बड़े शाजिद के अफगानिस्तान में मारे जाने की खबर आ चुकी है। असदुल्लाह उर्फ हड्डी का नेपाल बार्डर पर भटकल के साथ पकड़ा जाना साफ करता है कि जिले के मोस्टवांटेड देश के बाहर लगातार अपना ठिकाना बदल रहे है और उनके सिर पर आतंक के बड़े आकाओं का हाथ है।
शाजिद के ईराक में मारे जाने की खबर के बाद खुफिया तंत्र भी यह सोचने को विवश है कि कन्हीं इन लोगों ने आइएसआइएस का हाथ तो नहीं थाम लिया है। वहीं दूसरी तरफ अभी पिछले वर्ष मुबंई से भागकर चार युवक आइएसआइएस में शामिल होने इराक गये थे। इनमें से एक भागकर वापस लौटा। उसने पूछताछ के दौरान इराक जाने वाले अपने जिन तीन साथियों के नाम का खुलासा किया उनमें एक युवक आजमगढ़ के मुबारकपुर का निकला। उक्त युवक का परिवार मुंबई में रहता है।
इससे साफ है कि आइएसआइएस की पहुंच आजमगढ़ तक है। यहां वह अपनी जड़े जमाने का प्रयास कर सकती है। इस संबंध में डीआईजी आजमगढ़ मंडल आरके श्रीवास्तव का कहना है कि इस संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। पर मंडल की पुलिस किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए सर्तक है। हर महीनें एलआईयू की बैठक होती है। खुफिया एजेंसी अपना काम कर रही है। कहीं भी सुराग मिला तो कार्रवाई की जायेगी।
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