भोपाल। मध्य प्रदेश में संभवत: पहली बार सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए दो
आइएएस अफसरों ने धरना देकर चेतावनी दे डाली। बाल संरक्षण आयोग के सचिव रमेश थेटे और निलंबित आइएएस शशि कर्णावत ने साफ कहा कि दलित होने के कारण उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। अपनी दास्तां सुनाते हुए थेटे फूट-फूटकर रोने लगे।
आइएएस अफसरों ने धरना देकर चेतावनी दे डाली। बाल संरक्षण आयोग के सचिव रमेश थेटे और निलंबित आइएएस शशि कर्णावत ने साफ कहा कि दलित होने के कारण उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। अपनी दास्तां सुनाते हुए थेटे फूट-फूटकर रोने लगे।
सोमवार को भोपाल के अंबेडकर पार्क में दलित आदिवासी फोरम के बैनर तले आयोजित धरने में थेटे ने कहा कि मुझे एक भी नोटिस मिला तो अन्न-जल त्याग दूंगा। मेरी मौत हो जाए तो मेरे पार्थिव शरीर को सीएम हाउस, वल्लभ भवन जरूर ले जाना। थेटे यहां तक कह गए कि लगातार प्रताड़ना और तनाव से उनके बच्चों की खुशी और पत्नी की खूबसूरती छिन गई। उन्होंने कहा कि वह बेवकूफ नहीं, आइएएस हैं। मुख्यमंत्री अच्छे हैं, लेकिन उनके इर्द-गिर्द जो अफसर हैं वे उन्हें परेशान कर रहे हैं। वहीं कर्णावत ने कहा कि बेटी बचाने का नारा देने वाली सरकार उन्हें घेरकर मार रही है। वह पिछले 15 साल से संघर्ष कर रही हैं। अब जनता की अदालत में अपनी लड़ाई लड़ेंगी। उनका कहना है कि सरकार कुछ लोगों को उपकृत कर रही है और उन्हें प्रताडि़त किया जा रहा है।
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