नई दिल्ली. पठानकोट हमले के बाद शक के घेरे में आए पुलिस अफसर सलविंदर से नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) लगातार पूछताछ कर रही है। पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि सलविंदर और उनका दोस्त राजेश वर्मा 31 दिसंबर को बॉर्डर के पास क्यों थे? 2 जनवरी को एयरबेस पर अटैक हुआ था। उससे पहले आतंकियों द्वारा पूर्व एसपी को किडनैप करने की बात सामने आई थी।
सलविंदर ने रिश्वत लेने की बात मानी...
- मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पूछताछ में सलविंदर ने रिश्वत लेने की बात मान ली है।
- एनआईए के सूत्रों के मुताबिक, सलविंदर ने कबूल किया है कि ड्रग्स की हर खेप की एवज में उन्हें हीरे की ज्वैलरी मिलती थी।
- उनका ज्वैलर फ्रेंड राजेश इन डायमंड का टेस्ट कर बताता था कि ज्वैलरी नकली है या असली?
- एनआईए ने अपनी तलाशी में एक चाइनीज़ वायरलेस सेट उस कार से रिकवर किया है, जिसका इस्तेमाल आतंकियों ने बेस तक जाने के लिए किया था।
- इस वायरलेस सेट से डाटा डिलीट कर दिया गया है। इस सेट को नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइज़ेशन को भेज दिया गया है, ताकि डिलीट किया गया डाटा रिकवर किया जा सके।
सलविंदर के दोस्त राजेश पर शक क्यों?
- राजेश का ज्वैलरी स्टोर गुरुदासपुर में हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि दोनों ड्रग्स की खेप के बदले गोल्ड या डायमंड लेते थे और इसी स्टोर के जरिए बेच देते थे।
- पठानकोट हमला करने वाले आतंकियों ने राजेश की गर्दन पर हमला करने के बाद उन्हें सड़क पर फेंक दिया था।
- होम मिनिस्ट्री के प्रवक्ता ने कहा है कि अभी राजेश का पठानकोट के एक हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है। डिस्चार्ज होने के बाद उन्हें दिल्ली तलब कर पूछताछ शुरू की जाएगी।
- एनआईए के अफसर के मुताबिक, सलविंदर का पॉलिग्राफ टेस्ट दिल्ली या बेंगलुरु में हो सकता है।
सलविंदर शक के घेरे में क्यों?
- सलविंदर अपने बयानों को लेकर शक के घेरे में हैं।
- तलूर गांव के धार्मिक स्थल पर जाने और वहां से लौटकर आने के वक्त को लेकर उन्होंने अपना बयान बदला है।
- कहा था, ''मैं पठानकोट के धार्मिक स्थल पर हमेशा जाता रहा हूं। धार्मिक स्थल से कार से लौटते वक्त आतंकियों ने मुझे किडनैप कर लिया था।''
- वहीं, उस धार्मिक स्थल के केयरटेकर सोमराज के मुताबिक, उन्होंने 31 दिसंबर को पहली बार सलविंदर को देखा था।
किन सवालों से हुआ शक?
- सलविंदर ने 27 किमी का सीधा सफर छोड़कर 55 किमी कठुआ वाला रास्ता क्यों चुना? सलविंदर का कहना है कि वह सड़क खराब थी, तो फिर वापसी के लिए यही एक रास्ता बच गया था।
- धार्मिक स्थल के सेवादार ने झूठ बोला कि सलविंदर रात 9 बजे आए। जबकि टोल प्लाजा की फुटेज में गाड़ी रात 10.17 पर क्रॉस हुई।
- क्या कोलियां की तरफ आते समय सलविंदर के दोस्त राजेश ने आतंकियों को ड्रग पैडलर समझ कर गाड़ी रोकी थी? क्या ड्रग पैडलर के इन्स्ट्रक्शन पर ही आतंकियों ने सलविंदर को नुकसान नहीं पहुंचाया?
- आखिर इतनी रात में सलविंदर सरहदी इलाके में जाते समय अपने किसी गनमैन को साथ क्यों नहीं ले गए?
- सलविंदर की गाड़ी में क्या कोई वायरलेस फोन नहीं था? अगर वे अपनी प्राइवेट गाड़ी में थे तो उस पर नीली बत्ती क्यों लगी थी? उन्होंने अपने जाने के बारे में किसी को सूचना भी नहीं दी थी।
COMMENTS