लखनऊ। स्वामी विवेकानंद की जयंती पर आयोजित समरसता सम्मेलन एवं विचार गोष्ठी में शामिल होने पहुंचे भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय संगठन मंत्री संजय जोशी ने विषय के अनुकूल बात कहने के लिए शब्दों के साथ अपने व्यवहार का भी सहारा लिया। संगोष्ठी से पहले जोशी ने सफाई कर्मचारियों के साथ हवन किया। जिंदगी भर जमीन से जुड़े रहे नवीनचंद्र कुरील व रामआसरे रावत सहित कई बुजुर्ग कार्यकर्ताओं के पैर छूकर नमन किया और जातियों की गोलबंदी को निशाने पर लिया।
दीनदयाल उपाध्याय सेवा प्रतिष्ठान व सामाजिक समरसता मंच की ओर से रामाधीन सिंह उत्सव भवन में आयोजित गोष्ठी में संजय जोशी ने कहा कि जातियों की गोलबंदी से टकराव बढ़ा है। जातिवाद के ध्रुवीकरण में तो कुछ कमी आई है, लेकिन जातीयता कम नहीं हुई। जोशी ने कहा भारत का इतिहास व संस्कृति भव्य है। भारत ने अपनी सामथ्र्य का लोहा मनवाया है, लेकिन हम बंटे रहे तो देश तरक्की नहीं करेगा।
जोशी ने कहा कि भाषणों में आदर्शवादी बातें होती हैं, लेकिन भारतीय राजनीति में जातीयता इतनी हावी है कि उम्मीदवार इसी से तय होते हैं और कई बार मतदाता भी जाति देख कर वोट देते हैं जबकि जाति लेकर चलेंगे तो देश की प्रगति अवरुद्ध होगी। लखनऊ विवि शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो.दिनेश कुमार ने कहा भारतीय संस्कृति की आत्मा ही सामाजिक समरसता है, लेकिन कुरीतियां इसमें बाधक हैं। आपसी द्वेष के कारण पर्याप्त सामाजिक उन्नति नहीं हो पा रही है। उन्होंने अपने भीतर राष्ट्रवाद लाने के संकल्प की आवश्कता बताई। संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग संघचालक जयकृष्ण सिन्हा सहित अन्य मौजूद थे।
राम मंदिर का संकल्प
संजय जोशी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राम मंदिर का निर्माण भाजपा की आस्था व श्रद्धा का विषय है। घोषणा पत्र में पार्टी ने इसका संकल्प किया है। कोर्ट में प्रकरण लंबित होने के बीच निर्माण कैसे होगा, यह सरकार व पार्टी देखेगी। सफाईकर्मियों के साथ हवन को उन्होंने वोटबैंक की राजनीति से परे बताया जबकि पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी या इस बाबत प्रधानमंत्री से बात होने के मुद्दे पर वह चुप्पी साध गए। सिर्फ इतना कहा, प्रधानमंत्री हमारे नेता हैं और मैं कार्यकर्ता हूं। आरएसएस पर आजम की टिप्पणी के जवाब में जोशी बोले कि आजम को पहले संघ का काम समझना चाहिए, फिर कुछ कहना चाहिए।
दीनदयाल उपाध्याय सेवा प्रतिष्ठान व सामाजिक समरसता मंच की ओर से रामाधीन सिंह उत्सव भवन में आयोजित गोष्ठी में संजय जोशी ने कहा कि जातियों की गोलबंदी से टकराव बढ़ा है। जातिवाद के ध्रुवीकरण में तो कुछ कमी आई है, लेकिन जातीयता कम नहीं हुई। जोशी ने कहा भारत का इतिहास व संस्कृति भव्य है। भारत ने अपनी सामथ्र्य का लोहा मनवाया है, लेकिन हम बंटे रहे तो देश तरक्की नहीं करेगा।
जोशी ने कहा कि भाषणों में आदर्शवादी बातें होती हैं, लेकिन भारतीय राजनीति में जातीयता इतनी हावी है कि उम्मीदवार इसी से तय होते हैं और कई बार मतदाता भी जाति देख कर वोट देते हैं जबकि जाति लेकर चलेंगे तो देश की प्रगति अवरुद्ध होगी। लखनऊ विवि शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो.दिनेश कुमार ने कहा भारतीय संस्कृति की आत्मा ही सामाजिक समरसता है, लेकिन कुरीतियां इसमें बाधक हैं। आपसी द्वेष के कारण पर्याप्त सामाजिक उन्नति नहीं हो पा रही है। उन्होंने अपने भीतर राष्ट्रवाद लाने के संकल्प की आवश्कता बताई। संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग संघचालक जयकृष्ण सिन्हा सहित अन्य मौजूद थे।
राम मंदिर का संकल्प
संजय जोशी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राम मंदिर का निर्माण भाजपा की आस्था व श्रद्धा का विषय है। घोषणा पत्र में पार्टी ने इसका संकल्प किया है। कोर्ट में प्रकरण लंबित होने के बीच निर्माण कैसे होगा, यह सरकार व पार्टी देखेगी। सफाईकर्मियों के साथ हवन को उन्होंने वोटबैंक की राजनीति से परे बताया जबकि पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी या इस बाबत प्रधानमंत्री से बात होने के मुद्दे पर वह चुप्पी साध गए। सिर्फ इतना कहा, प्रधानमंत्री हमारे नेता हैं और मैं कार्यकर्ता हूं। आरएसएस पर आजम की टिप्पणी के जवाब में जोशी बोले कि आजम को पहले संघ का काम समझना चाहिए, फिर कुछ कहना चाहिए।
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