नई दिल्ली। फिल्म अभिनेता अनुपम खेर ने पाकिस्तानी उच्चायोग पर असत्य बोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें कराची साहित्य उत्सव में जाने के लिये पाकिस्तान द्वारा वीजा से इनकार किया गया है। खेर ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि साहित्य, कला एवं संस्कृति की कोई सीमा नहीं होती है। यही वजह है कि भारत में भी पाकिस्तानी कलाकारों को काम और सम्मान मिलता है। इसीलिए उन्होंने कराची साहित्य उत्सव में जाने पर सहमति जताई थी लेकिन उन्हें वीजा नहीं दिया गया।
एक अखबार ने खेर के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत से जाने वाले 18 सदस्यीय दल में सिर्फ उन्हीं को वीजा देने से मना किया गया है। अनुपम खेर ने वीजा नहीं मिलने पर खेद जाते हुए कहा, \'मैं काफी निराश हूं कि 18 में से 17 लोगों को वीज़ा दे दिया गया, सिर्फ मुझे छोड़कर।
अनुपम खेर को पांच फरवरी को कराची साहित्य उत्सव में भाग लेने जाना था। खेर ने पाकिस्तान उच्चायोग के उस बयान को असत्य बताया कि उन्होंने कोई वीजा आवेदन नहीं दिया था। उन्होंने कहा कि वीजा का आवेदन आयोजक करता है। उसी तरीके से अन्य 17 लोगों को वीजा दिए गए लेकिन सिर्फ उन्हें ही नहीं दिया गया। वीजा से इनकार किए जाने के कारणों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह जिस तरह से कश्मीरी पंडितों के हक में या प्रधानमंत्री के पक्ष में बोलते हैं, शायद वह सब उन्हें पसंद नहीं आया होगा।
घटना से आहत अनुपम खेर ने कहा, \'मैं इससे काफी दुखी हूं। मैं महोत्सव में भाग लेने के बारे में आगे की ओर सोच रहा था और वहां के लोगों के मन में गलतफहमी दूर करने के लिए मंच का इस्तेमाल करना चाहता था। हम उनके कलाकारों का भारत में स्वागत करते हैं। अगर भारत में एक जगह पर उनकी प्रस्तुति पर आपत्तियां होती है तो दूसरे जगह उनका स्वागत होता है, लेकिन यह पारस्परिक नहीं है।
टीवी चैनल से बातचीत में कराची से इस उत्सव की आयोजक अमीना ने भी इस बात की पुष्टि की कि खेर को वीजा देने से पाकिस्तानी उच्चायोग ने इनकार कर दिया है। इससे पहले पाकिस्तान उच्चायोग ने आज एक समाचार पत्र में प्रकाशित उस रिपोर्ट का खंडन किया जिसमें खेर को कराची साहित्य सम्मेलन में भाग लेने के लिये पाकिस्तानी वीजा देने से इनकार करने का खुलासा किया गया है।
नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के प्रवक्ता मंसूर अली मेमन ने कहा कि बॉलीवुड अभिनेता ने पाकिस्तानी उच्चायोग में वीजा का कोई आवेदन नहीं दिया लिहाजा वीजा देने से इनकार करने का प्रश्न ही नहीं उठता। पिछले वर्ष मई में भी खेर को एक गैरसरकारी संगठन ने लाहौर में एक कार्यक्रम में आमंत्रित किया था लेकिन तब भी उन्हें वीजा देने से मना कर दिया गया था। उस वक्त पाकिस्तानी उच्चायोग ने सुरक्षा कारणों से वीजा देने से इनकार किया था। खेर देश में \'असहिष्णुता विरोधी\' बहस की मुखालफत करने वालों में अग्रणी रहे हैं।
खेर ने वीजा नहीं दिए जाने की वजह पूछे जाने पर कहा, \'काश! मैं जान पाता। मैं सोच रहा हूं कि क्या यह मेरे कश्मीरी पंडित होने या भारत में सहिष्णुता पर बहस में मेरे विचारों के कारण हुआ है।\'
उल्लेनीय है कि अनुपम खेर को पिछले साल मई में भी वीजा देने से इनकार कर दिया गया था। उस समय उन्हें लाहौर के एक एनजीओ ने एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था। उस समय बताया गया था कि पाकिस्तान उच्चायोग ने सुरक्षा कारणों के चलते उन्हें वीजा नहीं दिया। हालांकि इस बार पाकिस्तान हाईकमीशन ने कहा कि कि खेर के वीजा पर विचार किया जा रहा है।
पाक उच्चायोग ने दिया स्पष्टीकरण
इस पूरे मुद्दे पर पाकिस्तान उच्चायोग ने रिपोर्ट का खंडन करते हुए कहा कि खेर ने वीजा का कोई आवेदन ही नहीं किया था। पाकिस्तानी उच्चायोग के प्रवक्ता मंसूर अली मेमन ने ऐसी मीडिया रिपोर्टों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अनुपम खेर ने पाकिस्तानी उच्चायोग में वीजा का कोई आवेदन नहीं दिया लिहाजा वीजा देने से इनकार करने का प्रश्न ही नहीं उठता।
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