नई दिल्ली: दिल्ली के स्कूलों में नर्सरी के होने वाले दाखिलो में जारी रहेगा मैनेजमैंट कोटा. दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें दिल्ली सरकार ने स्कूलों में मैनेजमैंट कोटा खत्म करने का फरमान जारी किया था. अदालत का साफ तौर पर कहना था कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर फैसले लेने के लिए आफिस सर्कुलर नहीं बल्कि विधायिका या उपराज्य पाल की सहमाति जरुरी है.
दिल्ली सरकार और स्कूलों के विवाद के चलते छाये असंमजस के बादल हाईकोर्ट के फैसले से छट सकते हैं. दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले से साफ है कि नर्सरी क्लास में होने वाले दाखिले उन 11 क्राइटेरिया के आधार पर होगें. जिनको हाईकोर्ट ने अनुमति दी है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में दिल्ली सरकार के 6 जनवरी के सर्कुलर पर रोक लगाते हुए कहा कि सरकार का आदेश महज एक सरकारी आदेश है जबकि नियमों के हिसाब से आदेश जारी करने के लिए उपराज्यपाल की सहमति जरुरी थी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्कूलो की उस अपील को मंजूर किया जिसमें उन्होने दिल्ली सरकार के मैनेजमैंट कोटा खत्म करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दिल्ली सरकार इस आदेश से स्कूलो की स्वायत्ता नहीं छीन सकती है.
मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी अदालत में पेश हुए और दलील देते हुए कहा था कि उनको स्कूलो की तरफ से लगातार शिकायते मिल रही थी जिसके बाद उन्होने यह सकुर्लर जारी किया हालाँकि कोर्ट ने सिसोदिया की इस दलील को मानने से इंकार कर दिया था और कहा कि सरकार के पास पूरी मशीनरी है और अगर ऐसी शिकायत आयी थी तो सरकार ने इस मामले मे कोई कार्रवाई क्यो नही की.
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद स्कूलो का कहना है कि स्कूलो के इस आदेश का पालन करते हुए ही दाखिले करेंगे . और अगर फिर भी कोई शिकायत होती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए .
हाईकोर्ट के इस फैसले से इस साल नर्सरी पर होने वाले दाखिलो को लेकर विवाद पूरी तरीके से खत्म हो गया है. यह कहना जल्दबाजी ही होगी क्योकि दिल्ली सरकार हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के फैसले को डबल बेंच में चुनौती देने की बात कर रही है.
मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा ” न्यायालय के फैसले का सम्मान. लेकिन निजी स्कूलों में एडमिशन और फीस में मनमानी रोककर पारदर्शिता लाने का प्रयास जारी रखेंगे.”
“दिल्ली के बच्चों को अच्छी शिक्षा सुलभ कराना सरकार की जिम्मेदारी है. फैसले के खिलाफ अपील करेंगे.”
लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर यह विवाद यूँ ही जारी रहा तो नर्सरी दाखिले कब शुरु होगें और बच्चो के भविष्य कब तक इस तरह अधर में लटका रहेगा.
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