नई दिल्ली। पर्यावरण के लिए खतरनाक प्लास्टिक कचरे को ठिकाने लगाने के लिए सरकार ने नए नियम बनाए हैं, जो अब ग्रामीण इलाकों में भी लागू होंगे। किसी भी समारोह के बाद बिखरे कूड़े को साफ करने की जिम्मेदारी आयोजक की होगी।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इन नियमों के दायरे में ग्रामीण क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है क्योंकि प्लास्टिक अब हर जगह पहुंच चुका है। ग्रामीण इलाकों में इन नियमों को लागू करने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों की होगी।
अब तक ये नियम केवल नगरपालिकाओं तक ही सीमित थे। जावड़ेकर ने कहा कि कूड़ा फैलाने वाले की जिम्मेदारी पहली बार तय की गई है। व्यक्तिगत तौर पर और कार्यालयों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों और उद्योगों को प्लास्टिक कूड़े को अलग करना होगा, स्थानीय निकायों के हवाले करना होगा तथा उनके नियमों के मुताबिक शुल्क देना होगा।
उन्होंने कहा कि शादी, धार्मिक आयोजनों और जनसभाओं आदि कार्यक्रमों के बाद प्लास्टिक कचरा खुले में पड़ा रहता है। पहली बार यह व्यवस्था की गई है कि इस कचरे के निपटान की जिम्मेदारी आयोजक की होगी। नए नियमों के मुताबिक प्लास्टिक थैलियों की मोटाई 40 माइक्रोन से बढ़ाकर 50 माइक्रोन कर दी गई है।
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि देश में रोजाना 15000 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है जिसमें से केवल 9000 टन को ही एकत्र और प्रोसेस किया जाता है जबकि बाकी 6000 टन कचरा बिखरा पड़ा रहता है। दोबारा इस्तेमाल योग्य नहीं बनाए जा सकने वाले थर्मोसेट प्लास्टिक के लिए दिशानिर्देश बनाने का काम केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दिया गया है।
इस तरह के प्लास्टिक का उत्पादन चरणबद्ध तरीके से दो साल में बंद कर दिया जाएगा। नए नियमों के मुताबिक केवल पंजीकृत दुकानदारों के पास ही प्लास्टिक थैलियां उपलब्ध रहेंगी। ऐसे दुकानदारों को स्थानीय निकायों को पंजीकरण शुल्क देना होगा जिसका इस्तेमाल कचरा निपटान के लिए किया जाएगा।
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