बीएसपी सुप्रीमो मायावती के खिलाफ अभद्र बयानबाजी को लेकर भले ही बीजेपी आलाकमान ने अपने नेता दयाशंकर सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया हो, लेकिन पत्नी स्वाति सिंह ने सामने आकर जिस तरह से मायावती के खिलाफ मोर्चा संभाला, उसने बीजेपी के भीतर ही भीतर दयाशंकर के समर्थन में दबाव पैदा कर दिया है.
पार्टी नेताओँ में अब ये भी सुगबुगाहट दौड़ गई है कि दयाशंकर सिंह के खिलाफ बीजेपी ने जल्दबाजी में कुछ ज्यादा ही सख्त कार्रवाई कर दी. ऐसे में दयाशंकर को पार्टी में वापस लेने की मांग भी हो रही है.
बलिया के बीजेपी सांसद भरत सिंह ने 'आजतक' से खास बातचीत में साफ किया है कि बीएसपी सुप्रीमो मायावती के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर भले ही दयाशंकर ने गलत किया, लेकिन इससे उनके समर्थकों को उनके परिवार के खिलाफ अभद्र बयान देने का हक तो नहीं मिल जाता. भरत सिंह के मुताबिक, अगर मायावती नसीमुदीन सिद्दीकी को पार्टी से बाहर नहीं करतीं हैं, तो वो बीजेपी आलाकमान से मांग करते हैं कि दयाशंकर सिंह को फौरन बीजेपी में वापस लिया जाए.
दयाशंकर की पत्नी-बेटी से माफी मांगें मायावती
भरत सिंह से जब ये सवाल पूछा गया कि एक बार बीजेपी ने दयाशंकर सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है, तो उनकी वापसी की मांग से क्या गलत संदेश नहीं जाएगा? इसपर उनका कहना है कि पार्टी ने आलाकमान के निर्देश पर ही ‘बेटी के सम्मान में-बीजेपी है मैदान में’ का आंदोलन शुरू किया है. ये आंदोलन तब तक नहीं रुकेगा, जबतक कि मायावती अपने नेताओँ की गलत बयानी के लिए सख्त कार्रवाई नहीं करतीं. साथ ही उन्हें दयाशंकर की पत्नी-नाबालिग बेटी से माफी भी मांगनी पड़ेगी. अगर वो ऐसा नहीं करती हैं, तो बीजेपी सड़क से सदन तक बीएसपी सुप्रीमो के खिलाफ आवाज उठाने में कोई कमी नहीं करेगी.
सिद्दीकी के खिलाफ लगाया जाए पॉक्सो
भरत सिंह के मुताबिक, मायावती की दौलत की बेटी कहने वाले नेता बीएसपी से ही निकलकर आए हैं. बीएसपी के वरिष्ठ नेता जुगलकिशोर और स्वामी प्रसाद मौर्य ने ही उन पर सबसे पहले ये आरोप लगाया था. मामले में मायावती की सफाई को भी भरत सिंह ने खारिज कर दिया है. बकौल सिंह, 'आखिर किसी की पत्नी और नाबालिग बेटी को पेश करने के ऐलान का मतलब क्या होता है. इस गैरजिम्मेदाराना बयान पर तो नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ पॉक्सो (POCSO) के तहत मुकदमा दर्ज होना चाहिए.' उन्होंने कहा कि नसीमुद्दीन ने रेप के लिए उकसाने वाला बयान दिया है. यूपी सरकार और पुलिस प्रशासन को इस संदर्भ में फौरन कार्रवाई करनी चाहिए.
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