रियो डी जिनेरियो: भारतीय बैडमिंटन के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी हासिल करने के बाद हैदराबादी बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु ने मोनार्क टाइम्स से खास बातचीत में अपने खेल के कई अहम पहलुओं पर रोशनी डाली. उन्होंने कहा कि इस वक्त उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है. वह यह भी कहती हैं कि इस वक्त किसी और खिलाड़ी से उनकी तुलना करने का सही समय नहीं है.
क्या आप ओलिंपिक सिल्वर मेडल को अब तक की अपनी सबसे बड़ी कामयाबी मानती हैं?
सिंधु : ओलिंपिक का पदक जीतना मेरा सपना था, लेकिन मैं कभी यह सोचकर नहीं आयी थी कि यहां तक पहुंचुंगी. यह मेरे जीवन का बेहतरीन हफ्ता साबित हुआ है. मैं अपने खेल और प्रदर्शन से बेहद खुश हूं. मैं गोल्ड मेडल से चूक गई, फिर भी खुशी है कि अपने सिल्वर मेडल के जरिए भारतीय खेल प्रेमियों के चेहरों पर मुस्कान ला पाई.
आपके माता-पिता वॉलीबॉल के राष्ट्रीय खिलाड़ी रहे हैं और उन्होंने आपको यहां तक पहुंचाने में यकीनन कई बलिदान दिए होंगे.
सिंधु : जी बिल्कुल! मेरे यहां तक पहुंचने में मेरे माता-पिता का बड़ा योगदान है. उन्हें जीवन में कई बार कई स्तर पर मेरे लिए, अपनी खुशियां छोड़नी पड़ीं. खासकर मेरे कोच और मेरे सपोर्टिंग स्टाफ ने मुझ पर काफी मेहनत की, जिसकी वजह से मैं यहां तक पहुंच पाई. मैं उन सभी का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं.
आपकी तुलना हमेशा साइना नेहवाल से होती रही है. क्या इस पदक के बाद कहा जा सकता है कि आप उनकी छाया से आगे निकल गई हैं?
सिंधु : देखिए, इस वक्त तुलना नहीं करनी चाहिए. साइना एक महान खिलाड़ी हैं. मुझे खुशी है कि मैंने अपना बेहतरीन प्रदर्शन किया. मैं चाहूंगी कि मेरा खेल और बेहतरीन हो और मैं और भी कामयाबियां हासिल करूं.
पिछले दो हफ्ते से भारतीय खेल प्रेमी पदकों के लिए तरस से गए थे. आपने और साक्षी ने भारतीय खेलप्रेमियों का सिर फख्र से ऊंचा किया है. आप मोनार्क टाइम्स के दर्शकों और खेल प्रेमियों को कोई संदेश देना चाहेंगी?
सिंधु : जी बिल्कुल! मैं कहना चाहूंगी कि अगर आप कुछ हासिल करना चाहते हैं और उसे पाने की ठान लें तो कोई भी मुकाम मुश्किल नहीं है. मुझे यहां तक पहुंचाने के लिए आपकी दुआओं के लिए आपका शुक्रिया.
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