नई दिल्ली : नोटबंदी के बाद कालेधन के खिलाफ चलाये गये देशव्यापी अभियान में आयकर विभाग ने अब तक 3,185 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित आय का पता लगाया है जबकि 86 करोड़ रुपये के नये नोट जब्त किये गये।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार नोटबंदी के बाद से आयकर अधिकारियों ने देश भर में जांच, सर्वे व पूछताछ की 677 कार्रवाइयां की। इस दौरान कर चोरी व हवाला से जुड़े लेनदेन के लिए विभिन्न इकाइयों को 3,100 से अधिक नोटिस जारी किए गए।
उन्होंने कहा कि विभाग ने इस दौरान 428 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की नकदी व आभूषण जब्त किए हैं। वहीं इसी दौरान 86 करोड़ रुपये मूल्य के नये नोट जब्त किए गए जिनमें से ज्यादातर नोट 2000 रुपये मूल्य वाले हैं।
सूत्रों के अनुसार, ‘इस कार्रवाई के दौरान 19 दिसंबर तक 3185 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की अघोषित आय की घोषणा की गई या पकड़ा गया।’ एजेंसी ने 220 से अधिक मामले अन्य जांच एजेंसियों - सीबीआई व प्रवर्तन निदेशालय- को भेजे हैं। इन एजेंसियों को ये मामले में वित्तीय अपराध जैसे मनी लांड्रिंग, आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार जैसे मामलों की जांच के लिये भेजे गये।
अधिकारियों ने कहा है कि जांच वाले इन मामलों में देश के विभिन्न भागों में स्थित कर अधिकारियों और उनकी नीति निर्माता संस्था केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) बैंकों और उनके नियामक रिजर्व बैंक के साथ समन्वय बिठा रहे हैं।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार नोटबंदी के बाद से आयकर अधिकारियों ने देश भर में जांच, सर्वे व पूछताछ की 677 कार्रवाइयां की। इस दौरान कर चोरी व हवाला से जुड़े लेनदेन के लिए विभिन्न इकाइयों को 3,100 से अधिक नोटिस जारी किए गए।
उन्होंने कहा कि विभाग ने इस दौरान 428 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की नकदी व आभूषण जब्त किए हैं। वहीं इसी दौरान 86 करोड़ रुपये मूल्य के नये नोट जब्त किए गए जिनमें से ज्यादातर नोट 2000 रुपये मूल्य वाले हैं।
सूत्रों के अनुसार, ‘इस कार्रवाई के दौरान 19 दिसंबर तक 3185 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की अघोषित आय की घोषणा की गई या पकड़ा गया।’ एजेंसी ने 220 से अधिक मामले अन्य जांच एजेंसियों - सीबीआई व प्रवर्तन निदेशालय- को भेजे हैं। इन एजेंसियों को ये मामले में वित्तीय अपराध जैसे मनी लांड्रिंग, आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार जैसे मामलों की जांच के लिये भेजे गये।
अधिकारियों ने कहा है कि जांच वाले इन मामलों में देश के विभिन्न भागों में स्थित कर अधिकारियों और उनकी नीति निर्माता संस्था केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) बैंकों और उनके नियामक रिजर्व बैंक के साथ समन्वय बिठा रहे हैं।
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