अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को फेडरल अपील कोर्ट से एक बार फिर झटका लगा है. अदालत ने शरणार्थियों और सात मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों पर प्रतिबंध वाले ट्रंप के फैसले पर से रोक हटाने से साफ इनकार कर दिया है. ट्रंप के विवादित फैसले के तहत मुस्लिम बहुल सात देशों (ईरान, इराक, लीबिया, सोमालिया, सूडान, सीरिया और यमन) से आने वाले शरणार्थियों और लोगों पर अमेरिका में आने को लेकर अस्थायी तौर पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. संघीय अदालत की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने इस आदेश पर रोक लगाई हुई है.
अदालत से निराशा मिलने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने इस निर्णय को ‘राजनीतिक फैसला’ करार दिया है. ट्रंप प्रशासन का कहना है कि उसका विधायी आदेश चरमपंथी इस्लामी आतंकियों को देश में प्रवेश करने से रोकने के लिहाज से बड़ा कदम था. सैन फ्रांसिस्को स्थित नाइन्थ कोर्ट ऑफ अपील के फैसले पर गहरी निराशा जाहिर करते हुए ट्रंप ने लिखा, ‘आपसे अदालत में मिलते हैं, हमारे देश की सुरक्षा दांव पर है.’
SEE YOU IN COURT, THE SECURITY OF OUR NATION IS AT STAKE!— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) February 9, 2017
सेशंस कोर्ट ने कहा, ‘अमेरिकी राष्ट्रपति कानून के शासन में भरोसा करते हैं. मैं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का धन्यवाद करना चाहता हूं. अपराध और हिंसा से अमेरिकी लोगों की सुरक्षा करने में उनका भरोसा है. वह राष्ट्रीय हित को पूरा करने वाले आव्रजन की कानूनी प्रक्रिया में भरोसा करते हैं.’ अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम, ‘कन्सर्न्ड वूमेन फॉर अमेरिका’ की अध्यक्ष पेन्नी नैंस, रिपब्लिकन नेशनल कमेटी की अध्यक्ष रोन्ना मैक्डेनियल और अलबामा के जाने-माने भारतीय अमरिकी वकील जगदीश कृपलानी ने सेशंस की प्रशंसा करते हुए उन्हें इस पद के लिए चुने जाने पर बधाई दी. वैसे डेमोक्रेटिक सांसदों ने सेशंस के चयन की आलोचना की. सीनेटर पैट्रिक लीही ने नागरिक अधिकारों संबंधी चल रहे मामलों पर सेशंस की प्रतिबद्धता को लेकर चिंता व्यक्त की.
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