नई दिल्ली: मुद्रा बाजार में नकदी प्रवाह बढ़ाने के मकसद से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरूवार को बैंकों को सांविधिक तरलता कोष (एसएलआर) मामले में कुछ राहत दी. पिछले दिनों मुद्रा बाजार में नकदी की स्थिति में तंगी को लेकर कारोबारी धारणा प्रभावित रही. इसी संदर्भ में रिजर्व बैंक ने यह कदम उठाया है. रिजर्व बैंक ने जारी बयान में कहा कि बैंक अपने नकदी कवरेज अनुपात (एलसीआर) की जरूरत को पूरा करने के लिये एसएलआर में से 15 प्रतिशत तक राशि अलग कर सकेंगे. वर्तमान में यह सीमा 13% है. इस बदलाव के बाद बैंकों को अब एलसीआर के लिये पहले के 11 प्रतिशत के बजाय 13 प्रतिशत राशि उपलब्ध हो सकेगी. यह सुविधा एक अक्तूबर से लागू होगी.
आरबीआई ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को ऋण देने को लेकर बैंकों की चिंताएं बढ़ रही हैं और नकदी प्रवाह के कड़े हालात को लेकर चिंता का माहौल है. आरबीआई ने कहा कि व्यवस्था में टिकाऊ तरलता जरूरतों को पूरा करने को वह तैयार है और विभिन्न उपलब्ध विकल्पों के माध्यम से वह इसे सुनिश्चित करेगा. यह उसके बाजार हालातों और नकदी उपलब्धता का लगातार आकलन करने पर निर्भर करेगा.पिछले कुछ दिनों में सक्रियता से उठाए गए कदमों के बारे में आरबीआई ने कहा कि 19 सितंबर को उसने खुले बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों का लेन-देन (ओएमओ) किया था. साथ ही तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के सामान्य प्रावधान के अतिरिक्त रेपो के माध्यम से अतिरिक्त तौर पर नकदी के लिए उदार तरीके से जान फूंकने की कोशिश की थी.
आरबीआई ने बाजार में नकदी की उपलब्धता बढ़ाने के लिए गुरुवार को 10 हजार करोड़ रुपये का ओएमओ किया था. आरबीआई ने कहा कि खुले बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद-फरोख्त दोबारा से बृहस्पतिवार को की जा सकती है ताकि व्यवस्था में पर्याप्त नकदी सुनिश्चित की जा सके.केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा कि 26 सितंबर को रेपो के माध्यम से बैंकों ने रिजर्व बैंक से 1.88 लाख करोड़ रुपये की सुविधा प्राप्त की. उसने कहा कि परिणामस्वरूप व्यवस्था में पर्याप्त मात्रा से अधिक नकदी मौजूद है. रिजर्व बैंक ने सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) में यह राहत एक अक्टूबर 2018 से प्रभावी होने की घोषणा की.
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