गंगा एक्सप्रेस-वे न केवल मेरठ से प्रयागराज तक के सफर को कम करेगा। साथ ही व्यापारिक व आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार को भी बढ़ाएगा। 11 घंटे से ज्यादा का सफर इसके जरिए 8 घंटे में पूरा होगा। इस एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास इस साल अक्तूबर तक कराया जाएगा।
इसके साथ ही इसका निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। वर्ष 2025 में इस पर यातायात चालू करने की योजना है। सबसे खास बात है कि दूसरे चरण में एक्सप्रेस-वे का वाराणसी से जुड़ना है। 602 किमी का गंगा एक्सप्रेस वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सबसे बड़ा ड्रीम प्रोजेक्ट है।
लंबाई के हिसाब से सबसे बड़ा एक्सप्रेस वे-
यह लंबाई व लागत के हिसाब से देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेस वे प्रोजेक्ट होगा। गंगा नदी के समान्तर एक किमी दूर बनने वाले इस एक्सप्रेस-वे की लागत करीब 40,000 करोड़ रुपये आएगी। केवल जमीन खरीदने में ही 10 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। पहले चरण के लिए यूपीडा ने डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। कुछ बदलाव के साथ इस एक्सप्रेस-वे की डीपीआर व परियोजना लागत को कैबिनेट से मंजूर कराया जाएगा। इसके बाद जमीन खरीदने व अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होगी। यह परियोजना अपने भीमकाय आकार के कारण चर्चा में है।
इसे 12 पैकजों में विभाजित कर बनवाया जाएगा। अभी यह तय नहीं है कि सरकार ईपीसी मोड में बनवाएगी या पीपीपी मोड में.। इस एक्सप्रेस-वे के किनारे रियल इस्टेट, इंडस्ट्रियल पार्क, विशेष आर्थिक परिक्षेत्र एसईजेड व वेयरहाउस बनेंगे।
बढ़ा ट्रैफिक बोझ संभालेगा एक्सप्रेस वे-
वाराणसी में गंगा नदी पर वाराणसी मल्टीमाडल टर्मिनल प्रोजेक्ट केंद्र सरकार की बड़ी परियोजना है। रिपोर्ट के मुताबिक जब गंगा एक्सप्रेस वे भविष्य में दूसरे चरण में प्रयागराज बाईपास से वाराणसी से जुड़ेगा तो वाराणसी पोर्ट के कारण बढ़ा आधा ट्रैफिक इस गंगा एक्सप्रेस वे पर शिफ्ट होगा और माल वाहक भारी वाहन इस रास्ते कम समय में मेरठ, दिल्ली या आगरा या पड़ोसी राज्य पहुंच सकते हैं।
COMMENTS