सोमपुरा ने कहा कि मंदिर के शिखर की ऊंचाई बढ़ाने के निर्णय और गुंबदों की संख्या तीन से पांच किए जाने के बाद एक मंजिल और बढ़ाना आवश्यक हो गया था। पहले के नक्शे के हिसाब से मंदिर की ऊंचाई 128 फिट प्रस्तावित थी। गुंबद और ऊंचाई के अलावा मंदिर के मुख्य परिसर का क्षेत्रफल भी थोड़ा बढ़ेगा। संतों और ट्रस्ट की इच्छा के अनुसार यह बदलाव किया गया है। तीन मंजिल के आधार पर फाइनल नक्शा भी जल्द तैयार कर लिया जाएगा।
मंदिर परिसर का दायरा भी बढ़ेगा-
पहले के नक्शे के अनुसार, नागर शैली के इस मंदिर परिसर क्षेत्र का दायरा करीब 67 एकड़ में रखा गया था, जिसे नए डिजाइन और ऊंचाई की आवश्यकता के अनुसार 100 से 120 एकड़ में विस्तारित किया जा सकता है। मंदिर की रूपरेखा तैयार होने के 15 दिन के भीतर ही नई डिजाइन के अनुसार मास्टरप्लान तैयार हो सकता है।
मंदिर निर्माण में कितनी लागत आएगी?
सोमपुरा ने बताया कि मंदिर के मौजूदा डिजाइन के हिसाब से करीब 100 करोड़ रुपये की लागत आएगी। अगर डिजाइन में बदलाव होता है तो खर्च बढ़ सकता है। लागत इस बात पर भी निर्भर करेगी कि मंदिर को किस समयसीमा में पूरा करना है। निर्माण को समय सीमा में पूरा करने के लिए ज्यादा संसाधन और बजट की जरूरत होगी।
गर्भगृह में कोई बदलाव नहीं होगा
सोमपुरा ने शनिवार को अयोध्या में मंदिर निर्माण के संबंध में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में भाग लिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि गर्भगृह, आरती स्थल, सीता रसोई, रंगमंडपम की संरचना में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पहले बनाए गए नक्शे के हिसाब से ही इसकी संरचना रहेगी। सोमपुरा ने कहा कि नए राम मंदिर की ऊंचाई बढ़ाई गई है, लेकिन यह भारत में सबसे ऊंचे शिखर वाला मंदिर नहीं होगा। दक्षिण भारत में कई मंदिरों के शिखर की ऊंचाई 200 से 250 फिट से ज्यादा है। जबकि अक्षरधाम समेत कई मंदिरों में पांच गुंबद हैं। द्वारका मंदिर तो सात मंजिला है।
80 हजार घन फुट पत्थर तराशा गया
अक्षरधाम जैसे मंदिरों का डिजाइन तैयार कर चुके सोमपुरा ने बताया कि अब तक 80 हजार घन फुट पत्थर तराशा जा चुका है और करीब इतने ही पत्थर की और जरूरत पड़ सकती है। यह पत्थर बंसी पहाड़पुर से लाया जाएगा। तराशी का कार्य भी बरसात के बाद तेज होगा और इसमें हजारों कारीगर लगाए जा सकते हैं।
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