लखनऊ.
मार्च 2016 में राजधानी के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान
में किडनी ट्रांसप्लांट का काम शुरू होने की संभावना है। इसके लिए संस्थान
में तीन यूरोलॉजिस्ट और एक नेफ्रोलॉजिस्ट को लगाया गया है। यह राजधानी का
तीसरा संस्थान होगा, जहां किडनी ट्रांसप्लांट होगा। इससे पहले एसजीपीजीआई
और केजीएमयू में यह सुविधा उपलब्ध थी। आगे पढ़िए इस बारे में संस्थान के डायरेक्टर दीपक मालवीय ने क्या कहा...
संस्थान के डायरेक्टर डॉ. दीपक मालवीय ने इन बातों को बताया
- संस्थान की ओपीडी बिल्डिंग में थर्ड फ्लोर पर किडनी ट्रांसप्लांट वार्ड बनाया गया है।
- इसमें 20 बेड शामिल किए गए हैं।
- शुरुआत में संस्थान में कैडेवर किडनी ट्रांसप्लांट ही किया जाएगा।
- कैडेवर का मतलब किसी ब्रेन डेड व्यक्ति की किडनी को अगर उसके परिजन दान
करना चाहते हैं तो कर सकते हैं। ऐसे में जिस मरीज को जरूरत होगी, उसके
किडनी बदली जा सकेगी।
- लाइव ट्रांसप्लांट में मरीज के किसी परिजन की किडनी तुरंत निकालकर मरीज
को लगाई जाती है। इसमें दोनों की जान को खतरा रहता है और डॉक्टरों की बड़ी
टीम काम काम करती है।
मॉड्यूलर ओटी पूरी तरह से तैयार
- ट्रांसप्लांट के लिए मॉड्यूलर ओटी, आईसीयू, डायलिसिस यूनिट भी पूरी तरह से तैयार है।
- किसी भी संस्थान में किडनी ट्रांसप्लांट में नेफ्रोलॉजिस्ट का नहीं मिलना
सबसे बड़ी परेशानी होती है, लेकिन, लोहिया संस्थान को शुरू में ही मिल गए
हैं।
- संस्थान में दो नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. शिवेंद्र और डॉ. अभिलाष की नियुक्ति की गई है।
- ट्रांसप्लांट के पहले और बाद में मरीज की देखभाल के लिए दो नेफ्रोलॉजिस्ट के साथ ही रेजीडेंट डॉक्टर भी संस्थान को मिल चुके हैं।
- ट्रांसप्लांट यूनिट और एमआईसीयू भी तैयार हो चुका है।
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