श्रीनगर: अपने पिता
मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के चौथे दिन के फातिहा ‘चर्रुम’ से पहले
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से महबूबा मुफ्ती की इंकार से जम्मू कश्मीर में
राज्यपाल शासन की संभावनायें प्रबल हो गई हैं। पीपुल्स डेमोक्रेटिक
पार्टी(पीडीपी) के वरिष्ठ नेता राज्यपाल शासन से बचने के लिए आज दिन भर
सुश्री मुफ्ती को समझाने में जुटे रहे लेकिन सूत्रों का कहना है कि
उन्होंने अपने पिता के फातिहे से पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से साफ
इंकार कर दिया है।
हालांकि अगर राज्य में राज्यपाल का शासन
लागू होता है, तो भी वह कुछ ही दिन तक का होगा। आजादी के बाद से जम्मू
कश्मीर में पांच बार राज्यपाल का शासन लागू हुआ है। पार्टी सूत्रों ने
बताया कि सुश्री मुफ्ती अभी शोक में हैं। पार्टी के विधायकों ने राज्यपाल
एन एन वोहरा के सामने कल ही सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया था लेकिन
गठबंधन सरकार की सहयोगी भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) ने अब तक राज्यपाल के
समक्ष अपना समर्थन पेश नहीं किया है। इसके कारण राज्य में राजनीतिक ऊहापोह
की स्थिति बन गई है।
राज्यपाल ने भी राजनीतिक संकट को देखते
हुए पीडीपी और भाजपा से आज कहा कि वे सरकार के गठन पर अपनी स्थिति स्पष्ट
करें। राज भवन द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार राज्यपाल ने गठबंधन में
शामिल दोनों दलों के नेताओं से संपर्क साधा है और साथ ही पीडीपी अध्यक्ष
सुश्री मुफ्ती तथा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सत पॉल शर्मा को फैक्स भेजा है
कि वे सरकार गठन पर अपनी अपनी स्थिति स्पष्ट करें।
भाजपा महासचिव राम माधव की अगुवाई में
आज यहां पार्टी विधायकों की बैठक भी हुई लेकिन बैठक के परिणाम के बारे में
अभी पता नहीं चल पाया है। इससे पहले माधव ने सुश्री मुफ्ती से भी मुलाकात
की थी और उनसे राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा भी की थी लेकिन भाजपा महासचिव ने
इससे अधिक कोई जानकारी देने से इंकार कर दिया। संविधान के अनुसार
मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए सईद के निधन से मंत्रि परिषद भी अस्तित्वहीन हो
गया है।
राज्य के राजनीतिक गलियारे में मची हलचल को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री
उमर अब्दुल्ला ने भाजपा पर राज्य में अस्थिरता लाने का आरोप लगाया है।
उन्होंने ट््वीट किया है, ‘‘आखिर भाजपा राज्य पर अस्थिरता क्यों थोप रही
है। ये समझ में आने लायक बात है कि महबूबा मुफ्ती को शोक मनाने के लिए समय
चाहिए लेकिन ये लोग ....’’।
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