मुंबई। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सुधार योजना इंद्रधनुष को लागू करने के लिए वित्त मंत्रालय ने एनपीए (गैर निष्पादित यानि खराब कर्ज) से प्रभावित बैंकों से कहा है कि वे अतिरिक्त पूंजी आवश्यकता की पूर्ति के लिए अपना बिजनेस प्लान पेश करें। भारतीय रिजर्व बैंक ने इन बैंकों से एनपीए के लिए पर्याप्त धन का प्रावधान करके अपने खातों को दुरुस्त करने का निर्देश दिया है।
कुछ बैंकों ने अपना बिजनेस प्लान पहले ही मंत्रालय के समक्ष पेश कर दिया है। दूसरे बैंकों को भी प्लान पेश करने के लिए मंत्रालय ने बुलाया है। इंद्रधनुष योजना के तहत अगले चार वर्षो के दौरान बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये पूंजी बढ़ाने की जरूरत बताई गई है। वित्त वर्ष 2015-16 और 2016-17 के दौरान 25,000-25,000 करोड़ रुपये पूंजी बढ़ाई जाएगी। इसके बाद दो वर्षों में 10,000-10,000 करोड़ रुपये पूंजी बढ़ाई जाएगी।
सरकार का अनुमान है कि इसके बाद चार साल की समाप्ति पर इन बैंकों में कुल 180,000 करोड़ रुपये पूंजी बढ़ाने की जरूरत होगी। इस तरह बैंकों को बाकी 110,000 करोड़ रुपये पूंजी बाजार से जुटानी होगी। लेकिन रिजर्व बैंक द्वारा 150 शीर्ष डिफॉल्टरों की पहचान किए जाने के बाद यह अनुमान भी बदल गया। बैंकों को निर्देश दिया गया कि वे मार्च 2017 तक इन कर्जो के लिए पर्याप्त प्रावधान करके अपने खातों को दुरुस्त करें। इसके बाद बैंकों ने सरकार से पूंजी बढ़ाने की मांग शुरू कर दी क्योंकि वे मौजूदा स्थिति में बाजार से पूंजी नहीं जुटा सकते हैं। इस समय बैंकों के शेयर मार्च 2015 के उच्च स्तर से औसतन 60 फीसदी तक निचले मूल्य पर हैं। खराब कर्जो के लिए ज्यादा प्रावधान किए जाने से भी इन बैंकों की पूंजी आवश्यकता और बढ़ गई।
इंद्रधनुष योजना के तहत पिछले सितंबर तक सरकार 13 बैंकों को पहले ही 20,088 करोड़ रुपये पूंजी दे चुकी हैं। मौजूदा वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों के प्रदर्शन के आधार पर सरकार बकाया 5,000 करोड़ रुपये पूंजी मार्च तक बैंकों को देगी।
एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी ने बताया कि इस अतिरिक्त धन प्रावधान से हमारा पूंजी पर्याप्तता अनुपात प्रभावित हुआ है। इसे मानकों के अनुरूप बनाए रखने के लिए सरकार से पूंजी की जरूरत है। धन प्रावधान के उच्च मानकों से अगली कुछ तिमाहियों में बैंकों की लाभप्रदता भी प्रभावित हो सकती है। इस अधिकारी ने बताया कि मौजूदा वित्त वर्ष की शुरूआत के मुकाबले अब उनके बैंक को 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा अतिरिक्त पूंजी की जरूरत है।
बैंकों का कहना है कि 150 शीर्ष डिफॉल्टरों के लिए प्रावधान किए जाने से उनका काफी फंड इसमें निकल गया। इस वजह से उनके पास सीमित मात्रा में अतिरिक्त पूंजी बची है। इस वजह से उन्हें सरकार से वित्तीय मदद की जरूरत पड़ रही है। कई बैंक क्वालीफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट के जरिये शेयर जारी करके पूंजी जुटाने पर विचार कर रहे थे लेकिन बाजार में हालात पतली होने के कारण उन्होंने अपनी योजना टाल दी है।
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