लखनऊ. राजधानी के कृष्णानगर के आजादनगर स्थित फौजी कॉलोनी निवासी रिटायर्ड कर्मचारी 80 वर्षीय कृष्णदत्त पांडेय एवं उनकी 75 वर्षीय पत्नी माधुरी पांडेय की लूटपाट के विरोध में हुई दिनदहाड़े निर्मम हत्याकांड के मामले में पुलिस 24 घंटे गुजरने के बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। पुलिस हत्यारों तक पहुंचने के लिए पेशेवर अपराधियों के इर्द-गिर्द भी घूमी और कुछ करीबियों के बारे में भी गहन छानबीन की। इसके अलावा पुलिस ने संदेह के आधार पर कई लोगों को हिरासत में लेकर गहनता से पूछताछ करने का दावा भी किया, लेकिन हाथ कुछ नहीं लग सका।
दो दिन की पड़ताल के बाद भी पुलिस इस नतीजे पर तो पहुंच गई कि दंपत्ति का कातिल कोई करीबी है और लूट के इरादे से हत्या नहीं हुई, लेकिन कातिल कौन है? यह अभी तक पता नहीं लगा पाई है। पुलिस कृष्णदत्त के मोबाइल फोन के कॉल ब्योरे को भी खंगाल रही है। जांच में जुटे एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि अब तक की जांच पड़ताल में यही सामने आ रहा है कि दंपत्ति का कत्ल पुरानी रंजिश में ही किया गया है। वहीं पुलिस की टीमें बस्ती जिले में डेरा जमाये हुए है,जबकि अन्य पुलिस की टीमें आसपास के जिलों के बादमाशों पर भी नजर गड़ाये हुए है।
जमीन विवाद पर टिकी पुलिस की जांच
बस्ती जिले के करमा गांव निवासी सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारी कृष्णदत्त पांडेय एवं उनकी पत्नी माधुरी पांडेय हत्याकांड की तफ्तीश उनके पुश्तैनी जमीन विवाद को लेकर तथा अन्य दुश्मनी पर टिकी हुई है। इससे पूर्व वर्ष 1982 में कृष्णदत्त के भाई ओम प्रकाश की जमीन की रंजिश में हत्यारों ने मौत की नींद सुला दिया था। पुलिस अफसरों का दावा है कि इस दिशा में भी पड़ताल की जा रही है कि कहीं रंजिशन में तो दंपत्ति की हत्या न की गई हो। फिलहाल पुलिस पुरानी रंजिश और अन्य बिंदुओं पर ही मामले की छानबीन कर रही है।
भेदिये की तलाश में जुटे पुलिस अधिकारी, करीबी ने ही करायी दंपत्ति की हत्या?
सीओ कृष्णानगर राजेश कुमार यादव का कहना है कि उनकी टीम कई दिशाओं में गहन जांच पड़ताल कर रही है। उन्होंने बताया कि फौजी कॉलोनी स्थित बाबा की कुटिया निवासी कृष्णदत्त पांडेय के बेटे डॉ. अमरीश दुबई में रहते हैं और उनकी बेटी मंजू अपने परिवार के साथ जनपद बरेली में रहती है। सीओ के मुताबिक दोहरे हत्याकांड को अंजाम देने वाले इसी परिवार के किसी करीबी की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। कातिल कृष्णदत्त के मकान की पृष्ठिभूमि से पूरी तरह से वाकिफ थे। पुलिस की छानबीन और खोजी कुत्ता से मिले सुराग के आधार पर अधिकारी हत्यारों के लिए मुखबिरी करने वाले भेदिये की तलाश में जुट गई है।
दोहरे हत्याकांड की खबर सुन लोग रह गए दंग
जिस तंग कॉलोनी के बीच रात के अंधेरे में भी अजनबी घुसने के लिए हि मत नहीं जुटा पाते हैं, वहां दिनदहाड़े बुजुर्ग दंपत्ति की हत्या कर बेखौफ बदमाशों ने वारदात की तो स्थानीय लोगों को हिलाकर रख दिया। जिसने भी घटना के बारे में सुना वह दंग रह गये थे। वहीं, इस राजधानी में दोहरे हत्याकांड ने एक बार फिर बुजुर्गों की सुरक्षा का दावा करने वाली पुलिस की पोल खुल गई। बदमाश जिस तरह से घर में घुसे और वारदात की, उससे यही आशंका है कि बदमाश घर की स्थिति एवं वहां मौजूद लोगों के बारे में जानते थे।
फाइलों में दबकर रह गई सत्यापन की योजनाएं
हमदर्द बनकर अपराधी बेगुनाहों का खून बहा रहे हैं और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है। जब-जब कप्तान बदले, तब-तब आपराधिक प्रवृत्ति के नौकरों एवं किरायेदारों की पहचान के लिए सत्यापन की योजनाएं जोर शोर से शुरू हुई लेकिन चंद रोज बाद ठंडे बस्ते में चली गई। वजह साफ है कि कुछ दिन चौकन्ना रहने के बाद जि मेदार पुलिसकर्मी अपना पल्ला झाड़ लेते हैं और बड़े अधिकारी को अपना ही फरमान याद नहीं रहता। नतीजन बेखौफ बदमाश संगीन वारदात को अंजाम देकर भाग निकलते हैं और सत्यापन के नाम पर पुलिस लकीर पीटती रह जाती है।
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