भारत में सबसे तेज़ रफ़्तार से आगे बढ़ रही उपभोक्ता सामान बेचने वाली कंपनियों में से एक के पीछे लोकप्रिय योग गुरू बाबा रामदेव हैं.
फ़ोर्ब्स मैगज़ीन ने उनके पतंजलि साम्राज्य को 'बॉडी शॉप' का भारतीय संस्करण क़रार दिया है.
बड़ी दाढ़ी रखने वाले गेरुआधारी रामदेव शहद, सेहतमंद पेय पदार्थ, फलों के जूस, मिठाइयां, बिस्किट, मसाले, चाय, आटा, मुसली, अचार, साबुन, बाम और शैम्पू से लेकर नूडल्स तक बेच रहे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी के धुर प्रशंसक रामदेव ने अब नेस्ले के सबसे लोकप्रिय मैगी नूडल्स को निशाने पर लिया है.
हालांकि अपने नूडल्स की गुणवत्ता पर शुरुआती चिंताओं के बावजूद, वो अपने ब्रांड को प्रतिद्वंद्वी खाद्य पदार्थों के मुक़ाबले सेहतमंद विकल्प के रूप पेश कर रहे हैं.
और योग गुरु के नूडल्स बाज़ार में अच्छे खासे बिक रहे हैं.
रामदेव की व्यावसायिक सफलता से प्रेरित होकर एक और गुरु, गुरमीत राम रहीम सिंह ने खाद्य पदार्थों को बेचने की शुरुआत कर दी है.
फ़िल्मों और गानों में अपना जौहर दिखाने वाले ये बाबा अब अचार, शहद, पानी और नूडल्स बेचेंगे.
एक बड़ा पंथ चलाने वाले बाबा राम रहीम 'आॅर्गेनिक उत्पाद' खिलाकर 'देश को सेहतमंद' करने की तम्मना रखते हैं.
इस विवादित धर्मगुरू की वेबसाइट पर 117 'सामाजिक गतिविधियों' की सूची है, जिसमें समलैंगिकता को ख़त्म करना, एक अंतरराष्ट्रीय ब्लड बैंक चलाने से लेकर शाकाहार का प्रचार और चिड़ियों को दाना-चारा खिलाने तक के काम शामिल हैं.
इसी तरह दक्षिण भारत में मध्य और उच्च मध्य वर्ग में पैठ रखने वाले एक धर्म गुरु हैं, जिनका नाम श्री श्री रविशंकर है.
ये भी आयुर्वेदिक दवाओं के उत्पाद के साथ बाज़ार में हैं. बेंगलुरु में टूथपेस्ट, प्रोटीन शैम्पू, हर्बल टी, एंटी डायबिटिक टैबलेट, बाम और सिरप समेत कई उत्पादों को एक 'विश्व स्तरीय' फैक्टरी में बनाया जाता है.
देश की सबसे मशहूर महिला धर्म गुरु माता अमृतानंदमयी बहुत सारे कामों के अलावा अस्पताल, एक टीवी चैनल, इंजीनियरिंग कॉलेज और बिज़नेस स्कूल चलाती हैं.
इन सब के अलावा, अफ्रीकी हेयरस्टाइल में बाल रखने वाले श्री सत्य साईं बाबा ने अपने पीछे अरबों डॉलर की सम्पत्ति छोड़ी है. जब 2011 में उनकी मौत हुई तो उनके कई अस्पताल, क्लिनिक और विश्वविद्यालय चल रहे थे.
व्यावसायिक लाभों के लिए राजनीतिक और व्यावसायिक नेटवर्क रखने के साथ साथ बड़ी संख्या में अनुयायी रखना, भारतीय धर्म गुरुओं की एक लंबी परंपरा रही है.
शुरुआती दिनों में वो पूरब और पश्चिम के बीच पुल बनाकर पैसे बनाते थे. उदाहरण के लिए महेश योगी ने लाखों विदेशियों को योग और ध्यान बेचा.
लेकिन समय बदल चुका है और धर्मगुरु भी अपने तरीक़े बदल रहे
राजनेताओं से थोड़ी बहुत मदद के साथ ये गुरु लगातार मज़बूत होते गए हैं.
इसमें सबसे बड़ी भूमिका उनके अनुयायियों की रही है, जो अपने गुरु के उत्पादों के लिए आसानी से पक्के बाज़ार में तब्दील हो जाते हैं.
इनमें से अधिकांश आयुर्वेदिक और आॅर्गेनिक उत्पाद बनाते हैं और इस तरह वो देश की पुरानी परंपरा को भुनाते हैं.
इनमें से ज़्यादातर धर्मगुरु मौजूदा सरकार के समर्थक के रूप में जाने जाते हैं
हिंदू धर्म के व्यावसायिक पहलू पर आधारित किताब 'डिवाइन पॉलिटिक्स' के लेखक और एंथ्रोपोलॉजिस्ट लाइस मैकियन के मुताबिक, "गुरु चाहे जैसा हो- छद्म या वास्तविक- अध्यात्मिकता की राजनीति और व्यवसाय में इनका ही दखल है."
उनके अनुसार, "80 और 90 के दशक में अधिकांश गुरुओं की गतिविधियां अंतरराष्ट्रीय पूंजीवाद को विदेश और देश में फैलाने से संबंधित रही हैं."
इसलिए विदेशियों को योग बेचना पुरानी बात हो गई है. नए ज़माने में अब इन गुरुओं की नज़र, अपने अनुयायियों से आगे, भारत के तेज़ी से बढ़ते घरेलू बाज़ार पर है.
इसीलिए उनके उत्पादों की पैठ अब नास्तिक लोगों के बीच भी बढ़ रही है. इन्हीं में से एक हैं समाजशास्त्री शिव विश्वनाथन, जो रामदेव का उत्पाद बेचने वाले क़रीब 20 दुकानों पर जा चुके हैं.
इनके कुछ उत्पादों की गुणवत्ता से वो खासे प्रभावित दिखते हैं.
वो कहते हैं, "आटा उच्च गुणवत्ता का है और शैम्पू भी अच्छा है. हालांकि बिस्किट चाय में डुबाते ही तेजी से घुल जाता है, जो बहुत बुरा है."
लेकिन उनका कहना है कि रामदेव भारतीय परिवारों की बुनियादी ज़रूरतों पर ध्यान लगाए हुए हैं, "स्वास्थ्य, दवा और कॉस्मेटिक्स."
विश्वनाथन के अनुसार, "रामदेव जैसे गुरु हमें बता रहे हैं कि सेहत ही अध्यात्म है."
स्पष्ट है कि आध्यात्मिक पूंजीवाद भारत में ज़िंदा है और फल फूल रहा है. श्रद्धा का साम्राज्य तेज़ी से बढ़ रहा है. एक गुरु ने कहा था कि पूजा से ही धन मिलता है.
उनका यह संदेश उनके श्रद्धालुओं के लिए था, लेकिन ऐसा लगता है कि यह खुद गुरुओं के लिए भी सही था.
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