भारतीय कंपनियों को आने वाले दिनों में अपने कई वफादार कर्मचारियों से हाथ धोना पड़ सकता है। एक सर्वे के आधार पर पता चला है कि कंपनी के लॉयल कर्मचारी मैनेजमेंट की पॉलिसियों से तंग आकर नौकरी छोड़ना चाहते हैं। इस सर्वे में 52 फीसदी कर्मचारियों ने माना है कि वो 2 साल के अंदर अपनी मौजूदा नौकरी छोड़ सकते हैं।
वहीं 2020 तक 76 फीसदी कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ देने की बात कही है। जब कर्मचारियों से पूछा गया कि वो मौजूदा कंपनी में कितने साल तक टिके रह सकते हैं। तो सबसे ज्यादा 29 फीसदी कर्मचारियों ने कहा कि वो 1 या 2 साल तक कंपनी में बने रह सकते हैं। 24 फीसदी ने कहा कि वो 2 से 5 साल तक कंपनी का साथ निभा सकते हैं। सिर्फ 2 फीसदी ने कहा कि वो मौजूदा कंपनी का साथ अगले 10 साल तक नहीं छोड़ेंगे।
इस सर्वे में 94 फीसदी कर्मचारियों ने माना कि बिजनेस का परफॉर्मेंस सिर्फ वित्तीय आधार पर नहीं आंकना चाहिए। काफी कर्मचारियों ने कंपनी में अपनी भूमिका को लेकर असंतुष्टि जताई। 87 फीसदी कर्मचारियों ने कहा कि फिलहाल लीडरशिप पोजिशन के लिए युवाओं को ज्यादा प्रोत्साहित किया जाता है।
हालांकि कर्मचारियों की शिकायत से कंपनियां भी वाकिफ हैं। इसीलिए वो उन्हें रोकने के लिए कई तरह की कोशिशें करती रहती हैं। कुछ कंपनियों ने नया प्रोग्राम शुरू किया है। कंपनियां एम्पलॉइज के माता-पिता और सास-ससुर को फाइनेंशियल, मेडिकल और मानसिक सपोर्ट मुहैया करा रही हैं। वहीं कुछ कंपनियां बस अपना काम करवाना चाहती है और कर्मचारी को कोई सुविधा नहीं देना चाहती है।
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