नई दिल्ली: उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार संकट में है. बड़ी खबर ये है कि राज्यपाल से मिलकर बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है. बीजेपी ने कांग्रेस के बागी विधायकों के समर्थन का दावा किया है. देहरादून में कांग्रेस के बागी विधायक बीजेपी नेताओं के साथ राज्यपाल से मुलाकात किये हैं. आज विधानसभा में भारी हंगामे के बीच कांग्रेस के नौ विधायक विपक्ष के साथ खड़े नजर आए.
विनमय विधेयक पर वोटिंग को लेकर कांग्रेस के नौ विधायक विपक्ष के साथ खड़े नजर आए. जो विधायक बीजेपी के साथ खड़े नजर आए उनके नाम हैं, कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, विधायक अमृता रावत, कुंवर प्रताप चौपियन, सैला रानी रावत, सुबोध उनियाल, प्रदीप बत्रा, शैलेन्द्र मोहन सिंघल, उमेश शर्मा काऊ लेकिन स्पीकर ने वोटिंग की इजाजत नहीं दी.
अब बीजेपी राज्यपाल से मिलेगी और हरीश रावत की सरकार बर्खास्त करने की मांग करेगी. बीजेपी का दावा है कि उसके पास 35 विधायक हैं. हरीश रावत मंत्रिमंडल में मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा- वोटिंग की जरुरत नहीं, कांग्रेस के ही हरक सिंह रावत ने वोटिंग कराने की मांग की.
कांग्रेस के विधायक बीजेपी के साथ खड़े हो सकते हैं . सूत्रों के हवाले से खबर आई कि कांग्रेस के 10 से 12 विधायक क्रास वोटिंग कर सकते हैं यानी वो वोटिंग के दौरान सरकार की बजाए बीजेपी का साथ दे सकते हैं . अगर ऐसा हुआ तो सरकार अपना बजट पास नहीं करा पाएगी और कांग्रेस की सरकार गिर जाएगी .
सरकार पर संकट की वजह बने पूर्व सीएम विजय बहुगुणा गुट के विधायक और हरक सिंह रावत गुट के विधायक . इनमें
विजयपाल सजवान
सुबोध उण्याल
नवप्रभात
मयूख महर
अनुसुइया प्रसाद
राजेंद्र भंडारी
गणेश गोदियाल
मंत्री प्रसाद नैथानी
हरक सिंह रावत
और जीतराम आर्य शामिल हैं
सूत्रों के मुताबिक पूर्व सीएम विजय बहुगुणा को राज्यसभा में भेजकर मुख्यमंत्री हरीश रावत बागियों को मनाने में सफल हो गए. बागियों में शामिल कृषि मंत्री हरक सिंह रावत को अगले विधानसभा चुनाव में मनमाफिक सीट पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव देकर मनाया गया है. अब कांग्रेस का तो यहां तक कहना है कि बीजेपी के ही 5 से 6 विधायक सरकार के संपर्क में हैं.
यानी शक्तिमान पर चढ़कर शह और मात देने के खेल में बीजेपी और कांग्रेस एक-दूसरे को पिछाड़ने की कोशिश में लगी हुई हैं. लेकिन इसमें कौन जितेगा इसका पता बजट की वोटिंग के बाद ही पता लगेगा . बीजेपी के लिए मुश्किल ये है कि उसके विधायक गणेश जोशी जिन पर घोड़े की टांग तोड़ने का आरोप है वो बजट वोटिंग में शामिल नहीं हो पाएंगे .
उत्तराखंड में अगले साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होना है लेकिन उससे पहले ही दोनों पार्टियां अपने-अपने तरीके से राजनीतिक चाल चल रही हैं.
विनमय विधेयक पर वोटिंग को लेकर कांग्रेस के नौ विधायक विपक्ष के साथ खड़े नजर आए. जो विधायक बीजेपी के साथ खड़े नजर आए उनके नाम हैं, कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, विधायक अमृता रावत, कुंवर प्रताप चौपियन, सैला रानी रावत, सुबोध उनियाल, प्रदीप बत्रा, शैलेन्द्र मोहन सिंघल, उमेश शर्मा काऊ लेकिन स्पीकर ने वोटिंग की इजाजत नहीं दी.
अभी से पहले तक की खबर
अब बीजेपी राज्यपाल से मिलेगी और हरीश रावत की सरकार बर्खास्त करने की मांग करेगी. बीजेपी का दावा है कि उसके पास 35 विधायक हैं. हरीश रावत मंत्रिमंडल में मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा- वोटिंग की जरुरत नहीं, कांग्रेस के ही हरक सिंह रावत ने वोटिंग कराने की मांग की.
कांग्रेस के विधायक बीजेपी के साथ खड़े हो सकते हैं . सूत्रों के हवाले से खबर आई कि कांग्रेस के 10 से 12 विधायक क्रास वोटिंग कर सकते हैं यानी वो वोटिंग के दौरान सरकार की बजाए बीजेपी का साथ दे सकते हैं . अगर ऐसा हुआ तो सरकार अपना बजट पास नहीं करा पाएगी और कांग्रेस की सरकार गिर जाएगी .
सरकार पर संकट की वजह बने पूर्व सीएम विजय बहुगुणा गुट के विधायक और हरक सिंह रावत गुट के विधायक . इनमें
विजयपाल सजवान
सुबोध उण्याल
नवप्रभात
मयूख महर
अनुसुइया प्रसाद
राजेंद्र भंडारी
गणेश गोदियाल
मंत्री प्रसाद नैथानी
हरक सिंह रावत
और जीतराम आर्य शामिल हैं
सूत्रों के मुताबिक पूर्व सीएम विजय बहुगुणा को राज्यसभा में भेजकर मुख्यमंत्री हरीश रावत बागियों को मनाने में सफल हो गए. बागियों में शामिल कृषि मंत्री हरक सिंह रावत को अगले विधानसभा चुनाव में मनमाफिक सीट पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव देकर मनाया गया है. अब कांग्रेस का तो यहां तक कहना है कि बीजेपी के ही 5 से 6 विधायक सरकार के संपर्क में हैं.
यानी शक्तिमान पर चढ़कर शह और मात देने के खेल में बीजेपी और कांग्रेस एक-दूसरे को पिछाड़ने की कोशिश में लगी हुई हैं. लेकिन इसमें कौन जितेगा इसका पता बजट की वोटिंग के बाद ही पता लगेगा . बीजेपी के लिए मुश्किल ये है कि उसके विधायक गणेश जोशी जिन पर घोड़े की टांग तोड़ने का आरोप है वो बजट वोटिंग में शामिल नहीं हो पाएंगे .
उत्तराखंड में अगले साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होना है लेकिन उससे पहले ही दोनों पार्टियां अपने-अपने तरीके से राजनीतिक चाल चल रही हैं.
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