नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की वृद्धि दर दुनिया में सबसे ऊंची होने के दावे पर सवाल उठाने वालों को ऋण प्रवाह और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में तेजी जैसे आंकड़ों के साथ सोमवार को जोरदार जवाब दिया। उन्होंने कहा कि आर्थिक क्षेत्र में भारत की सफलता सरकार की राजकोषीय समझदारी, ठोस नीति और कारगर प्रबंधन का परिणाम है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राजग सरकार के कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ-साथ प्रशासनिक और नीतिगत सुधारों का विस्तार करना है ताकि देश स्वस्थ्य वृद्धि के रास्ते पर बढ़ सके।
मोदी ने यहां ब्लूमबर्ग इंडिया इकोनामिक फोरम के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘आर्थिक वृद्धि की सूची में भारत का सबसे ऊपर होना एक असामान्य बात है। जाहिर है, ऐसे कुछ लोग हैं जिन्हें यह बात पचती नहीं है और वे इस उपलब्धि को छोटा दिखाने के लिये तरह-तरह की मनगढ़ंत और काल्पनिक बातें कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘सचाई यह है कि भारत की आर्थिक सफलता मेहनत से मिली है। यह समझदारी, ठोस नीति और कारगर प्रबंधन का परिणाम है।’ मोदी ने कहा, ‘यह स्वीकार किया जा रहा है कि भारत की वृद्धि दर बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ऊंची है। कुछ लोग भ्रम में ही जाते हैं और उनका कहना है कि वृद्धि दर का यह दावा सही नहीं लगता। कोरे ख्यालों की जगह कुछ आंकड़ें पेश कर शायद उनका भ्रम कम करने में मैं कुछ मदद कर सकता हूं।’
इसी संदर्भ में प्रधानमंत्री कई आंकड़ें पेश किये। उन्होंने कहा कि सितंबर के बाद ऋण का उठाव बढ़ा है। चालू वित्त वर्ष में फरवरी तक ऋण का प्रवाह 11.5 प्रतिशत बढ़ा। इसी तरह वित्त वर्ष 2015-16 के पहली तीन तिमाहियों में कंपनी जगत ने शेयर पूंजी और उधारी के रूप में एक साल पहले इसी अवधि की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक धन जुटाया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2013 और 2014 में भारतीय कंपनियों की वित्तीय साख में गिरावट का जो रूझान था, वह 2015-16 की पहली छमाही में बदला है। अब यदि एक कंपनी की साख गिर रही है तो उसके मुकाबले दो कंपनियों की साख बेहतर हो रही है। क्रेडिट रेटिंग के मामले में यह स्थिति हाल के वर्षों में सबसे अच्छी है।
उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में शुद्ध एफडीआई अबतक के सर्वकालिक उच्च स्तर पर रहा। उन्होंने कहा कि उर्वरक, चीनी और कृषि मशीनरी तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में विदेशी पूंजी निवेश बढ़ा है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि निर्माण क्षेत्र में एफडीआई में 316 प्रतिशत का उछाल आया है, इसी तरह साफ्टवेयर और हार्डवेयर क्षेत्र में भी विदेशी निवेश चार गुना हो गया है। उन्होंने कहा कि निर्यात के लिये वैश्विक हालात कठिन हैं, ऐसे में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में घट-बढ़ जरूर हुई है पर विनिर्माण क्षेत्र के कई महत्वपूर्ण खंडों में वृद्धि तेज है।
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार कृषि पर सबसे ज्यादा ध्यान दे रही है और उसका लक्ष्य इस क्षेत्र की आय को 2022 तक दोगुना करना है। वह कुशल क्रियान्वयन के जरिये संसाधनों का उपयोग अच्छा-से-अच्छा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘सरकार ने बहुत से कदम उठाये हैं। आगे और भी कदम उठाये जाएंगे। कुछ उपायों का फल मिलना शुरू हुआ है। हमने अबतक जो हासिल किया है, मुझे विश्वास है कि जनता के समर्थन से हम भारत का कायाकल्प कर सकते हैं।’
मोदी ने कहा, ‘मैं जानता हूं कि यह काम कठिन है लेकिन मुझे इस बात का यकीन है कि यह संभव है और यह होकर रहेगा।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि विशेषज्ञ एक मत हैं कि इस समय भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था का सबसे आकर्षक स्थान में एक है। यहां मुद्रास्फीति कम है, भुगतान संतुलन की स्थिति ठीक है और चालू खाते का घाटा कम है तथा वृद्धि दर ऊंची है। मोदी ने कहा, ‘यह अच्छी तकदीर नहीं बल्कि अच्छी नीति का नतीजा है।’
उन्होंने कहा कि 2008-09 में भी तेल की कीमतें 147 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 50 डॉलर से नीचे आ गयी थीं। वह गिरावट 2014-15 के मुकाबले ज्यादा तेज थी। लेकिन 2009-10 में राजकोषीय घाटे, चालू खाते के घाटे और मुद्रास्फीति के मामले में देश की स्थिति बड़ी बुरी थी लेकिन 2015-16 में इनमें सुधार हुआ है।
मोदी ने इस स्थिति के लिये कच्चे तेल की वैश्विक कीमत में गिरावट को श्रेय देने वाले आलोचकों को जवाब देते हुए कहा कि यदि तेल की कीमतें ही अर्थव्यवस्था की इंजन होती तो तेल आयात पर निर्भर दूसरे उभरते देशों की कामयाबी भी भारत जैसी क्यों नहीं है। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि भारत की यह कामयाबी लगातार दो साल सूखे के बीच है। पिछला सूखा 2009-10 में पड़ा था और उस समय की स्थिति से तुलना करें तो अनाज का उत्पादन उससे ऊंचा है और महंगाई उससे काफी कम है।
मोदी ने राजकोषीय मजबूती का भी जिक्र किया और कहा कि 2016-17 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.5 प्रतिशत पर सीमित रखने का लक्ष्य है जो पिछले 40 साल में घाटे का सबसे न्यूनतम स्तर है।
COMMENTS