नई दिल्ली। आतंकवाद और हिंसा के इस दौर में सूफीवाद को आशा की किरण करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि इस्लाम के इस उदारवादी चेहरे से मानवता अंधेरे की छाया से बचाया जा सकता है।
मोदी ने विश्व सूफी मंच के उद्घाटन सत्र में दुनियाभर से आए इस्लामी विद्वानों को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया इस समय मुश्किल दौर से गुजर रही है, जब गलियों में बच्चों की किलकारियों को बंदूकों से चुप कराया जा रहा है तो सूफीवाद कराह रही मानवता को सुकून दे सकता है।
विविधता प्रकृति की मूलभूत सच्चाई
मोदी ने कहा सूफीवाद के लिए ईश्वर की सेवा से मतलब मानवता की सेवा है। यह ऐसे लोगों का सम्मेलन है जो शांति, सहिष्णुता और प्रेम में विश्वास रखते हैं। उन्होंने कहा कि आप कई देशों से आए हैं और अलग-अलग संस्कृतियों से ताल्लुक रखते हैं लेकिन सूफीवाद के माध्यम से एक सूत्र में बंधें हैं। सूफीवाद सिखाता है कि सभी जीवों को ईश्वर ने बनाया है और हमें इन सबसे प्रेम करना चाहिए।
आतंकवाद की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसने दुनिया को बांटने और तबाह करने का काम किया है। उन्होंने कहा, 'आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी धर्म के साथ टकराव नहीं है और न ही ऐसा हो सकता है। विविधता प्रकृति की मूलभूत सच्चाई है और किसी भी समाज की समृद्धि का स्रोत है। यह किसी विवाद का कारण नहीं हो सकता है।'
भारतीय संगीत में सूफीवाद का बड़ा योगदान
सूफीवाद को विविधता और बहुलवाद का जश्न बताते हुए मोदी ने कहा कि बुल्ले शाह के शब्दों में कहूं तो हर दिल में अल्लाह है। उनकी शिक्षाएं ज्यादा प्रासंगिक हो गई हैं और यही प्रकृति की सच्चाई है। सूफीवाद शांति, सह अस्तित्व, करुणा और समानता की आवाज है तथा विश्व बंधुत्व का आह्वान करता है।
मोदी ने कहा कि नई शताब्दी की शुरुआत ऐसे बदलाव की दहलीज पर है, जो मानव इतिहास में कम ही देखने को मिला है। उन्होंने दुनियाभर से आए सूफी विद्वानों को आशा की किरण को बहाल करने और दुनिया को शांति के बगीचे में बदलने का आह्वान करते हुए कहा कि सभी मिलकर हिंसा फैलाने वाली ताकतों को अपने प्यार और वैश्विक मानवीय मूल्यों से चुनौती दें।
कुरान की आयतों का किया उल्लेख
उन्होंने इस्लाम के पवित्र ग्रंथ कुरान की आयतों का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि कोई किसी बेगुनाह का कत्ल करता है तो यह पूरी मानवता का कत्ल है और कोई एक व्यक्ति को बचाता है तो उसने पूरी मानवता को बचाया है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में बाइबिल के साथ-साथ हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती, जलालुद्दीन रूमी, कबीर, गुरुनानक देव, स्वामी विवेकानंद, भगवान बुद्ध और महावीर तथा महात्मा गांधी की शिक्षाओं का भी उल्लेख किया।
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