दिल्ली हरित अधिकरण (एनजीटी) ने गुरुवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से पूछा कि बिना पूरी जानकारी जुटाए उसने युमना के पश्चिमी तट पर कार्यक्रम की अनुमति कैसे दी। गौरतलब है कि आर्ट आॅफ लीविंग 11 से 13 मार्च को इस जगह भव्य कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। एनजीटी अब इस मामले की सुनवाई 7 या 8 मार्च को करेगा। यमुना जिये अभियान के संयोजक मनोज मिश्रा ने कहा, ‘आज की सुनवाई में डीडीए की गलती पूरी तरह से उजागर हो गई है’। यमुना जिए अभियान के अनुसार, गुरुवार की सुनवाई में पहले तो डीडीए के वकील ने पक्ष रखा कि प्राधिकरण को आयोजन के भव्यता की जानकारी नहीं थी, लेकिन सवाल-जवाब से यह बात सामने आई कि आर्ट आॅफ लीविंग ने क्षेत्र का विवरण दिया था जिसके अनुसार 20 हेक्टेयर में बैठने की व्यवस्था, 1.5 हेक्टेयर में मंच और 2.4 हेक्टेयर में पार्किंग की जगह होगी। इस मामले पर आर्ट आॅफ लीविंग के गौरव वर्मा ने कहा, ‘हमें डीडीए द्वारा अनुमति दी गई, उसी के अनुसार आयोजन किया जा रहा है, यमुना या यमुना तट से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा रही है…समापन के बाद पूरी सफाई की जाएगी… हमने जो यहां थोड़ी बहुत खेती थी उसका मुआवजा दे दिया है। हम अपना पक्ष मजबूती से अधिकरण के सामने रख रहे हैं, और आयोजन का काम सुचारू रूप से चालू है’। ध्यान रहे कि डीडीए ने 15 दिसंबर 2015 को श्रीश्री रविशंकर द्वारा संचालित संस्थान आर्ट आॅफ लीविंग को यमुना तट पर अपने 35वें स्थापना दिवस पर विश्व सांस्कृतिक उत्सव के उद्घाटन की अनुमति दी थी। इस कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया जाना है और समापन समारोह में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी मौजूद रहेंगे। लेकिन, यमुना बचाओ आंदलोन से जुड़े संगठन यमुना जिये अभियान द्वारा एनजीटी में 11 फरवरी को एक याचिका दायर की गई जिसके बाद अधिकरण ने मामले में जांच टीम गठित की थी। जांच टीम ने रिपोर्ट में कहा था इस कार्यक्रम के आयोजन से यमुना तट के जैव पारिस्थिकी को खतरा है। इसके आधार पर आर्ट आॅफ लीविंग पर 120 करोड़ रू का मुआवजा लगाया गया था।
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