लखनऊ. योग गुरु बाबा रामदेव ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को देश का सबसे बड़ा स्वदेशी का ब्रांड अम्बेसडर बताया है। हरिद्वार की संत कुटीर में बाबा ने मुलायम को यह तमगा दिया। धरती पुत्र मुलायम स्वदेशी के कितने प्रेमी हैं यह तो सपाई जानें। लेकिन बाबा के इस बयान से उत्तर प्रदेश की राजनीति में सियासी भूचाल आ गया है। बसपाई और कांग्रेसियों ने राग अलापना शुरू कर दिया है कि सपा और भाजपा की मिलीभगत को रामदेव के बयान ने उजागर कर दिया है। सपाई अपनी पीठ ठोंक रहे हैं। वे सफाई देते फिर रहे हैं कि सपा के प्रदेश प्रभारी शिवपाल ने रामदेव समर्थकों को पार्टी के साथ जोड़ने का दांव चला है। सियासी समीकरण साधने में कौन कितना सफल रहा,यह तो आने वाला समय बताएगा।लेकिन बाबा की बयानबाजी से पार्टी से जुड़ा एक वर्ग जरूर सशंकित हो गया है।
यूपी का किला फतह करने के लिए सभी सियासी दल जातियों पर डोरे डाल रहे हैं। सपा यादव तो बसपा दलित कार्ड खेलती है। इस बार भाजपा ने भी पिछड़ा कार्ड खेला है। भला कांग्रेस कहां पीछे रहने वाली है। यूपी में कांग्रेस के खेवनहार प्रशांत किशोर ने अगड़ा कार्ड खेलने की तैयारी की है। पार्टी उत्तर प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष, विधान सभा में नेता और चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष पद को सवर्णों को सौंपने की रणनीति बनाई है। प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री का हटना तय है। विधान मंडल दल के नेता प्रदीप माथुर को भी हटाया जाना है। जबकि चुनाव प्रचार अभियान की कमान प्रतापगढ़ के रामपुर से पहली बार विधायक बनीं प्रमोद तिवारी की पुत्री अनुराधा मिश्रा को सौंपा जा सकता है। पीके की मानें तो दलितों और पिछड़ों की राजनीति में प्रदेश के सवर्ण हासिये पर चले गए हैं। कभी कांग्रेस के परम्परागत वोटर रहे सवर्ण को भी राजनितिक विकल्प की तलाश है।
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