भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख जगा कर पूरे देश को एक धागे में बांधने वाले अन्ना हजारे को अपने गांव में ही विरोध का सामना करना पड़ रहा है। बात दरअसल यह है कि सूखे के कारण अन्ना हजारे के गांव रालेगण सिद्धि के लोगों में गुस्सा है, लोग अन्ना के जल-संरक्षण मॉडल से नाराज हैं।
उनकी हम हर बात क्यों सुनेः गांव के किसान
रलेगण के किसानों में काफी गुस्सा है। गांव का एक किसान कहता है कि हम हर बार उनकी बात क्यों सुनें? प्रत्येक बोरवेल पर हमने 50,000 रुपए खर्च किए हैं। किसान आगे कहता है कि आज बोरवेलों में पानी नहीं है, लेकिन मॉनसून आने के बाद हमें पानी मिल जाएगा। हमारे पास पानी का कोई और जरिया नहीं।
बोरवेल भरे जाने के बाद बढ़ेगा पानी का लेवल
जब ग्राम पंचायत के कुछ लोग बोरवेलों को भरने के लिए सीमेंट की बोरियां ले आए, तब गांव वाले उससे बचने के लिए बहाने करने लगे। पंचायत के एक सदस्य ने कहा कि हजारे ने आश्वस्त किया है कि बोरलवेल भरे जाने के बाद वॉटर टेबल बढ़ेगा और कुओं में पानी आएगा।
टैंकरों के सहारे चलाने पड़ रहे काम
यह मुहिम भी उस वक्त छेड़ी गई है जब रालेगण के लोग पानी की भारी किल्लत से जूझ रहे हैं, वे टैंकरों के सहारे काम चला रहे हैं। हालात ये हैं कि गांव के जल-संरक्षण मॉडल को देखने-समझने आने वाले भी हैरान हैं। बोरवेलों को भरने पर जोर देते हुए हजारे ने कहा कि कोई मेरी बात नहीं सुन रहा, लेकिन बाद में उन्हें महसूस होगा कि मैं सही कह रहा था। उन्होंने आगे कहा कि वह गांववालों की भलाई के बारे में सोच रहे हैं। वह कहते हैं कि लोग पानी को लेकर लोभी हो रहे हैं और भूमिगत जल खत्म होता जा रहा है, बोरवेल खोदने से भूमिगत जल संरक्षित नहीं किया जा सकता। एक बार बोरवेल भर दिए जाएं तो वॉटर टेबल अपने आप ऊपर आ जाएगा और कुओं में पानी होगा।
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