लखनऊ. अगर UP Election 2017 में कांग्रेस को बेहतर प्रदर्शन करना है, तो उसे पीके (प्रशांत किशोर) से ज्यादा बसपा सुप्रीमो मायावती की जरूरत है! राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, अगर ये दोनों पार्टियां गठबंधन करती हैं तो मुसलमानों, दलितों के साथ अगड़ी जाति के वोटों के समीकरण को साधा जा सकता है।
यूपी में कांग्रेस पिछले दो विधानसभा चुनावों में 30 से अधिक सीटें हासिल नहीं कर सकी है। 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सिर्फ 28 सीटों पर ही जीत हासिल की थी। 2014 में लोकसभा चुनाव में तो कांग्रेस सिर्फ दो सीटें ही जीत पाई थी, वह थी सोनिया गांधी और राहुल गांधी की सीट।
कांग्रेस को चाहिए बसपा का साथ
कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगर राहुल गांधी यूपी में उम्मीदवार के तौर पर आते हैं तो प्रदेश में जातीय समीकरण टूट सकते हैं और मुस्लिम भी कांग्रेस को वोट कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश में सपा, बसपा और भाजपा तीन अहम पार्टियां हैं, ऐसे में कांग्रेस को अपनी जमीन मजबूत करने के लिए बसपा का साथ चाहिए होगा। लेकिन क्या ऐसा हो पाएगा, कई सवाल भविष्य के गर्त में छिपे हैं।
राहुल के लिए बेहतर प्लेटफार्म है UP Election 2017
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर यूपी में कांग्रेस राहुल कार्ड खेलती है तो उसका इरादा 2017 के विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करना होगा, ताकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें मजबूती से प्रमोट किया जा सके। राहुल के पास अपनी काबिलियत साबित करने के लिए यूपी से बड़ा कोई दूसरा प्लेटफार्म नहीं हो सकता है।
जीत के लिए जरूरी है गठबंधन!
भाजपा ने 2014 में लोकसभा चुनावों में 80 में से 71 सीटें अपने नाम की थीं। ऐसे में पार्टी इसी आधार पर आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी पैठ मजबूत करना चाहती है। कांग्रेस को मुसलमान, दलित और अगड़ी जाति के वोटों की जरूरत है और यह तभी संभव हो सकता है, जब कांग्रेस और बसपा का गठबंधन परवान चढ़े।
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