केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने बिहार के मोकामा में क़रीब 200 नीलगायों की हत्या के मामले में पर्यावरण मंत्रालय को आड़े हाथों लिया है.समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, महिला एवं बाल विकास मंत्री और पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी ने कहा है कि उन्हें जानवरों की हत्या का कारण नहीं समझ आ रहा है.लेकिन पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस फ़ैसले का बचाव करते हुए कहा है कि फ़सलों को बचाने के लिए राज्य के कहने पर नीलगायों को मारा गया.
मेनका गांधी ने इस कार्रवाई को सबसे बड़ा संहार बताया है उन्होंने आरोप लगाया, "केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय हर राज्य को चिट्ठी लिखकर उन जानवारों की सूची मांग रहा है जिन्हें मारा जाना है, ताकि केंद्र इसकी अनुमति दे सके." वहीं मेनका गांधी और प्रकाश जावड़ेकर के बीच बहस पर विपक्ष ने भी निशाना साधा है. जेडीयू के प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा, "मंत्रालयों के बीच समन्वय की कमी है. ये पहली बार नहीं हो रहा.
सभी मंत्रालयों के बीच टकराव है जिससे ये सब कुछ हो रहा है." एनसीपी के प्रवक्ता राहुल नार्वेकर ने कहा, "सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के बीच तालमेल नहीं है क्योंकि यहां एक ही व्यक्ति की मर्ज़ी चलती है." हालांकि प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है, "ये वैज्ञानिक प्रबंधन के तहत किया जा रहा है, इसमें फ़सल को नुक़सान पहुंचाने वाले जानवरों को तय समय के लिए कुछ जगहों से दूर रखा जाता है." मेनका गांधी ने दावा किया है, "केंद्र सरकार ने बिहार में नीलगाय, पश्चिम बंगाल में हाथी, हिमाचल प्रदेश में बंदर, गोवा में मोर और चंद्रपुर में जंगली सुअरों को मारने की इजाज़त दी है, जबकि वन्यजीव विभाग जंगली जानवरों को मारने से सहमत नहीं हैं." उनका दावा है कि बिहार में ग्राम पंचायत प्रमुख और किसान नीलगायों की हत्या के पक्ष में नहीं थे.
हालांकि जावड़ेकर ने कहा है, "ये सब कुछ क़ानून के मुताबिक़ किया जा रहा है न कि केन्द्र सरकार के कार्यक्रम के तहत."मेनका ने कहा कि सूखाग्रस्त महाराष्ट्र के चंद्रपुर में 53 जंगली सुअरों को मारा गया है जबकि पर्यावरण मंत्रालय ने 50 को और मारने की अनुमति दी है, ये तब है जबकि राज्य का वन्य जीव विभाग ऐसा नहीं चाहता है.
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