नरेंद्र मोदी सरकार ने मौजूदा मानसून सत्र में लंबे समय से अटके पड़े जीएसटी बिल को पास कराने के दावे सत्र की शुरुआत में ही कर दिए थे. लेकिन अब तक बिल पर आम सहमति बनती नहीं दिख रही है.
अगले हफ्ते बिल पेश करने की कोशिश
मंगलवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यों के वित्त मंत्रियों से बैठक की, जिसमें कई राज्यों के जीएसटी के मौजूदा प्रावधानों पर असहमति जताने के बाद सरकार इस हफ्ते जीएसटी को सदन में नहीं लाएगी. सरकारी सूत्रों का कहना है कि इस हफ्ते एक बार फिर सभी दलों खासकर कांग्रेस से बात की जाएगी और अगले हफ्ते बिल पेश करने की कोशिश होगी.
जीएसटी दर मौजूदा स्तर से कम रहे
राज्यों के साथ बैठक में इस सिद्धांत पर सहमति बनी है कि जीएसटी दर मौजूदा स्तर से कम रहनी चाहिए. जीएसटी लागू होने के पहले पांच साल के दौरान राज्यों को राजस्व नुकसान होने की स्थिति में उसकी भरपाई की प्रणाली की भी व्यवस्था की जानी चाहिए. जीएसटी के लागू होने पर केंद्र और राज्यों में लगने वाले अप्रत्यक्ष करों को इसमें शामिल कर लिया जाएगा.
खास बात ये रही कि कांग्रेस अब तक अपनी जिस मांग पर अड़ी थी कि जीएसटी में 18 फीसदी टैक्स की सीमा को संविधान संशोधन में शामिल किया जाए, उसे सरकार ने ये कहते हुए नहीं माना है कि उसका जिक्र जीएसटी एक्ट में किया जाएगा क्योंकि संविधान संशोधन में टैक्स रेट का कहीं जिक्र नहीं होता और एक बार ऐसा करने पर हर बार टैक्स में बदलाव के लिए संविधान संशोधन करना होगा.
झुकने को तैयार नहीं कांग्रेस
कांग्रेस ने सत्र की शुरुआत में जीएसटी को लेकर नरमी के संकेत दिए थे, लेकिन सरकार के साथ दो दौर की बातचीत के बाद पार्टी के रुख से साफ हुआ कि वो अपनी मांगों पर लचीली तो है, लेकिन झुकने को तैयार नहीं. राज्यों के वित्त मंत्रियों की बैठक में कांग्रेस शासित राज्यों ने सरकार को ये संकेत दे भी दिए. इसके बाद अब केंद्र सरकार नए सिरे से रणनीति बनाने में जुट गई है.
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