महाराष्ट्र के पुणे में रहने वाले एक बच्चे की उम्र सिर्फ 18 महीने की है लेकिन उसका वजन 22 किलोग्राम है. वह एक दुर्लभ विकार से पीड़ित है जिसकी वजह से उसका वजन असामान्य तौर पर बढ़ गया है.
श्रीजीत हिंगांकर के माता पिता इलाज के लिए उसे शहर के जसलोक अस्पताल लेकर आए तो डॉक्टरों ने दावा किया कि भारत में दूसरा रिकॉर्डेड मामला है.
बच्चे के मामले को देखने वाले डॉक्टर ने कहा कि बच्चे में लेप्टिन नाम के हार्मोन की कमी का पता चला है जिस वजह से उसका मस्तिष्क पूर्ण रूप से यह नहीं समझ पाता है कि पेट भर गया है और इंसान को खाना खाना बंद कर देना चाहिए. इस बीमारी का उपचार फिलहाल भारत में उपलब्ध नहीं है.
श्रीजीत का जब जन्म हुआ था तब उसका वजन 2.5 किलोग्राम था. पहले छह महीनों में उसका वजन बढ़कर चार किलोग्राम हो गया. 10 महीनों में बच्चे का वजन बढ़कर 17 किलोग्राम हो गया और वह 22 किलोग्राम का है. बच्चे का असामान्य तरीके से वजन बढ़ने से हैरान पूणे निवासी उसके माता-पिता उसे इलाज के लिए मल्टी स्पेशिलिटी अस्पताल लेकर आए.
बच्चे की मां रूपाली हिंगांकर ने कहा, ‘‘श्रीजीत का अक्सर सांस फूलता है और वह न खुद से बैठ सकता है और न खड़ा हो सकता है. अगर मैं उसे खाना नहीं दूं तो वह रोने और चिल्लाने लगेगा. फिलहाल उसकी दवाइयां ब्रिटेन से मंगा रहे हैं.’’ अस्पताल में श्रीजीत का मामला देख रहे एंडोक्राइनोलॉजिस्ट और बाल रोग विशेषज्ञ अभिषेक कुलकर्णी ने आज कहा कि वह एक दुलर्भ स्थिति से पीड़ित है और इस परेशानी से प्रभावित होने वाला वह देश का दूसरा बच्चा है.
कुलकर्णी ने कहा कि भारत में लेप्टिन जीन उत्परिवर्तन या इसकी कमी का इलाज नहीं है. उसकी हार्मोन परेशानी को नियंत्रित करने के लिए उसे दिन में दो बार लेप्टिन शॉट्स देने की जरूरत है जो सिर्फ इंग्लैंड : के एड्डेनब्रूक अस्पताल: में है. कुलकर्णी ने कहा कि अगर इस विकार का इलाज नहीं किया जाता है तो बच्चे में विभिन्न अन्य बीमारियां लग सकती हैं. श्रीजीत पहले से ही रक्तचाप की दवाई लेता है.
इस तरह का पहला मामला कर्नाटक की रहने वाली बच्ची रिशा अमारा का है. एक साल पहले नौ महीने की बच्ची को अस्पताल में रेफर किया गया था. उस वक्त अमारा का वजन 18 किलोग्राम था. कुलकर्णी ने कहा कि उसका कैंब्रिज अस्पताल में इलाज किया जा रहा है. उसका वजन अब 16 किलोग्राम है.
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