क्या महिला सुरक्षा और दिल्ली की कानून व्यवस्था को लेकर केजरीवाल सरकार गंभीर नहीं है? ये सवाल इसलिए, क्योंकि एक आरटीआई के जवाब में मुख्यमंत्री के कार्यालय ने जो जवाब दिया है, वह चौंकाने वाला है. सीएमओ ने बताया है कि फरवरी 2015 से लेकर जून 2016 तक महिला सुरक्षा और कानून व्यवस्था को लेकर कोई बैठक हुई या नहीं, इसकी कोई जानकारी विभाग के पास नहीं है.
दरअसल, बीजेपी के प्रवक्ता हरीश खुराना ने आरटीआई के जरिए महिला सुरक्षा और दिल्ली की कानून व्यवस्था को लेकर केजरीवाल सरकार से सवाल पूछा था. उन्होंने आरटीआई के जरिए केजरीवाल सरकार से 14 फरवरी 2015 से लेकर 9 जून 2016 तक की अवधि के बारे में जानकारी मांगी थी. इसमें पूछा गया था कि इन मुद्दों को लेकर सरकार ने कितनी बार एलजी नजीब जंग, दिल्ली के पुलिस कमिश्नर और गृह मंत्रालय से बैठक की.
आरटीआई के जवाब में कहा गया कि दिल्ली सरकार के पास इस बारे में कोई भी ब्योरा उपलब्ध नहीं है. इस जवाब के बाद से बीजेपी केजरीवाल सरकार पर हमलावर हो गई है. विपक्षी दल ने महिला सुरक्षा और दिल्ली के कानून व्यवस्था पर केजरीवाल के बयान को राजनीतिक करार दिया है.
अपने अधिकारों का भी इस्तेमाल नहीं कर रही AAP सरकार
बीजेपी प्रवक्ता हरीश खुराना ने कहा, 'आरटीआई से पता चलता है कि अरविंद केजरीवाल महिला सुरक्षा और कानून व्यवस्था जैसे अहम मुद्दों पर कितने गंभीर हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र सरकार की आलोचना करते हैं, लेकिन उन्हें जो अधिकार प्राप्त हैं उसका इस्तेमाल नहीं करते हैं.
AAP ने आरटीआई पर ही उठा दिए सवाल
दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी और सरकार के मंत्री ने इस पर पलटवार किया. 'आप' ने आरटीआई पर ही सवाल उठा दिए. 'आप' प्रवक्ता दिलीप पांडे ने कहा, 'केजरीवाल सरकार ने कई बार गृह मंत्रालय को चिठ्ठी लिखी. इसके अलावा दिल्ली के पुलिस कमिश्नर से मुलाकात भी की थी, जो कई अखबारों में सुर्खियां भी बनी थीं.' उन्होंने आईटीआई के सही होने पर ही सवाल खड़े कर दिए. केजरीवाल सरकार के महिला कल्याण मंत्री संदीप कुमार ने भी इसका बचाव किया और सरकार के कामकाज को गिनाने लगे.
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