यूपी के इलाहाबाद शहर में एक स्कूल में राष्ट्रगान गाने की इजाजत नहीं दिए जाने से बवाल मच गया है. इस एम ए कान्वेंट स्कूल की प्रिंसिपल सहित आठ टीचर्स ने राष्ट्रगान गाने की पाबंदी होने पर इस्तीफा दे दिया. मामले में प्रशासन की ओर से जांच का आदेश देकर चुप्पी साध ली गई है.
इस्तीफा देने वाले टीचर्स ने बताया कि राष्ट्रगान गाना संविधान की ओर से दिया गया मूल अधिकार है. स्कूल प्रबंधन ने जब इस गाए जाने पर एतराज जताया तो उन सबको इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा. वहीं स्कूल प्रबंधन ने बताया कि राष्ट्रगान में 'भारत भाग्य विधाता' के 'भारत' शब्द से उन्हें एतराज है. राष्ट्रगान से इस 'भारत' शब्द नहीं हटाया जाएगा तो वह स्कूल में राष्ट्रगान गाने नहीं देंगे.
जानकारी के मुताबिक 12 साल से चल रहे इस स्कूल में कभी राष्ट्रगान नहीं गाया गया. स्थापना के साथ ही राष्ट्रगान नहीं गाए जाने का तुगलकी फरमान यहां बदस्तूर जारी है. काफी अरसे तक इसे झेलने के बाद जब प्रिंसिपल और आठ टीचर्स ने इसके खिलाफ आवाज उठाई तो प्रबंधन ने उन्हें स्कूल से बाहर जाने पर मजबूर कर दिया. वहीं प्रशासन ने कहा है कि जांच के बाद ही स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कोई कार्रवाई की जा सकेगी.इस्तीफा देने वाले टीचर्स ने बताया कि राष्ट्रगान गाना संविधान की ओर से दिया गया मूल अधिकार है. स्कूल प्रबंधन ने जब इस गाए जाने पर एतराज जताया तो उन सबको इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा. वहीं स्कूल प्रबंधन ने बताया कि राष्ट्रगान में 'भारत भाग्य विधाता' के 'भारत' शब्द से उन्हें एतराज है. राष्ट्रगान से इस 'भारत' शब्द नहीं हटाया जाएगा तो वह स्कूल में राष्ट्रगान गाने नहीं देंगे.
He said that he is of the belief that people write their own destiny and it is not the nation which determines one's fate: Principal— ANI UP (@ANINewsUP) August 7, 2016
He said that he is of the belief that people write their own destiny and it is not the nation which determines one's fate: Principal— ANI UP (@ANINewsUP) August 7, 2016
राष्ट्रगान की एक पंक्ति से जताया एतराज
टीचर्स के मुताबिक इस साल 15 अगस्त को लेकर स्कूल में होने वाला प्रोग्राम तय किया जा रहा था. उन लोगों ने कहा कि राष्ट्रगान किया जाना है. इस पर स्कूल के मैनेजर जियाउल हक ने कहा कि यहां आज तक ऐसा नहीं हुआ और अब भी नहीं होगा. इसकी वजह बताते हुए अपने मजहब का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रगान की एक पंक्ति हमारे मजहब के खिलाफ है.
On being asked the reason, he said he has an issue with one line in National Anthem- 'Bharat Bhagya-vidhaata': School Principal who resigned— ANI UP (@ANINewsUP) August 7, 2016
On being asked the reason, he said he has an issue with one line in National Anthem- 'Bharat Bhagya-vidhaata': School Principal who resigned— ANI UP (@ANINewsUP) August 7, 2016
बच्चों को राष्टगान के बारे में कोई जानकारी नहीं
जियाउल हक ने दलील दी कि भारत भाग्य विधाता भारत हम सबके भाग्य का विधाता कैसे हो सकता है, इस वजह से हम इसे गाए जाने की इजाजत नहीं देंगे. आप लोग चाहें तो स्कूल छोड़कर जा सकती हैं. टीचर्स ने कहा कि हमें तो यहां एक साल हुआ है, लेकिन 12 साल से किसी ने कोई आवाज नहीं उठाई. बच्चों को राष्ट्रगान के बारे में कुछ पता ही नहीं है. उनके अभिभावकों को भी इस बारे में पूछे जाने पर चुप करा दिया जाता था. अधिक पूछताछ करने पर बच्चों को स्कूल से निकाल लेने की सलाह दी जाती थी.
I went to school management seeking permission to organise events like singing of National Anthem,Saraswati Vandana fr 15th August-Principal— ANI UP (@ANINewsUP) August 7, 2016
Principal, teachers resign after school management denied permission for 'National Anthem' event for 15th August pic.twitter.com/F1trJN8Z0V— ANI UP (@ANINewsUP) August 7, 2016
इस्लाम के खिलाफ है राष्ट्रगान
जियाउल हक ने कहा कि वह स्कूल में राष्ट्रगान को स्कूल में नहीं गाने दे सकते. राष्ट्रगान में भारत भाग्य विधाता का गान करना इस्लाम के खिलाफ है. क्योंकि अल्लाह के अलावा और कोई उनका भाग्य विधाता नहीं हो सकता. मुस्लिम इसे गाएगा तो गलत हो जाएगा. क्योंकि मुस्लिम ये मानता है कि अल्लाह ही हमारे भाग्य का विधाता है. वही भारत का भी भाग्य विधाता है.
Teachers of pvt school in Allahabad resign after being denied permission to organise an event involving singing of National Anthem fr Aug 15— ANI UP (@ANINewsUP) August 7, 2016
इस्लाम के मुताबिक चलना हमारी जिम्मेदारी
मैनेजर ने कहा कि इसी दो मुद्दों पर प्रिंसिपल मैडम और कुछ टीचर्स के साथ बहस हुई. वे सब चाहती थी कि राष्ट्रगान कॉमन हो और सब करें. हम चाहते हैं कि मुस्लिम बच्चे इससे बचें. क्योकि ये भी हमारी जिम्मेदारी है. इस्लाम के मुताबिक अल्लाह के अलावा किसी और की प्रार्थना या तारीफ करेंगे तो हम मुस्लिम नहीं रह जाएंगे.
बिना मान्यता के चलाया जा रहा है स्कूल
शुरुआती जांच के मुताबिक नर्सरी से आठवीं तक चल रहे इस प्राइवेट स्कूल को सरकार की ओर से कोई मान्यता नहीं मिली है. जिला प्रशासन के कार्यालय से महज एक किलोमीटर के दायरे में चलाए जा रहे इस स्कूल की मान्यता की जांच कभी प्रशासन ने नहीं की है. प्रशासन ने ऐसे ही कई सवालों पर चुप्पी साध रखी है.
School is not recognised, a notice directing them to close it down issued a week ago-BSA (Basic Shiksha Adhikari) pic.twitter.com/7IykglP6eg— ANI UP (@ANINewsUP) August 7, 2016
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