सोमवार को अखिलेश सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के पहले ही विवादों की शुरूआत हो गई है. आरटीआई एक्टिवस्ट और वकील नूतन ठाकुर ने रविवार को गायत्री प्रजापति को दोबारा मंत्रिमंडल में लिए जाने के कयासों के बीच राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें शपथ नहीं दिलाने का आग्रह किया. राज्यपाल को दिए अपने आवेदन में नूतन ठाकुर ने आरोप लगाया है कि मंत्री रहते गायत्री प्रजापति पर भ्रष्टाचार के गंभीर मामले दर्ज हुए और इसी आरोप में उन्हें हटाया गया है. साथ ही उनके खिलाफ सीबीआई ने भी भ्रष्टाचार के मामले दर्ज कर रखे हैं.
नूतन ठाकुर ने आरोप लगाया है कि अनुच्छेद के धारा 164 के तहत ये कहते उन्हे हटाया गया कि उन्होंने राज्यपाल का विश्वास खो दिया है, और जब एक बार उन्होंने विश्वास खोया है तो इतनी जल्दी दोबारा विश्वास कैसे प्राप्त कर लिया. ऐसे में उन्हें दोबारा शपथ नहीं दिलाई जा सकती. इन्हीं अनुच्छेदों का हवाला देते हुए नूतन ठाकुर ने राज्यपाल से राम नाइक से मिलकर उन्हे वापस मंत्रिमंडल में नहीं लेने की अपील की है.
प्रजापति की वापसी सरकार के लिए मुसीबत
बता दें कि चाचा-भतीजे विवाद में जब गायत्री प्रजापति को अखिलेश सरकार के मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया गया था, तब ये तर्क दिया गया था कि अवैध खनन मामले में प्रजापति के खिलाफ सीबीआई के पास मजबूत साक्ष्य हैं और इलाहाबाद कोर्ट जल्द ही उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाई का फैसला दे सकता है. बहरहाल नूतन ठाकुर की इस अपील का कोई असर होता है कि नहीं ये तो सोमवार दोपहर शपथ ग्रहण के वक्त पता चलेगा, लेकिन इतना तो साफ है कि गायत्री प्रजापति की वापसी अखिलेश सरकार के लिए गले की हड्डी जरूर साबित होने जा रहा है.
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