नयी दिल्ली: भाजपा नेता एवं सांसद सुब्रहमणियम स्वामी ने जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) पर अपना हमला जारी रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इसका ‘पूरा परिचालन’ स्थगित करने की मांग की है।
उनका कहना है कि प्रस्तावित वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) की व्यवस्था के लिए सूचना प्रौद्योगिकी ढांचे का परिचालन करने के लिए गठित कंपनी का पुनर्गठन कर इसका जिम्मा सरकारी स्वामित्व वाले वित्तीय संस्थानों को जब तक नहीं दिया जाता है तब तक इसका परिचालन रोक दिया जाना चाहिए।
स्वामी का तर्क है कि केंद्र सरकार का इलैक्ट्रॉनिक विभाग एवं वित्त मंत्रालय जीएसटी के आंकड़ों को संभालने में पूरी तरह समर्थ हैं। उनका कहना है कि जीएसटीएन अपनी मौजूदा शेयरधारिता ढांचे में ‘प्रभावी रूप से’ विदेशियों द्वारा नियंत्रित निकाय है और राष्ट्रहित में इसका पुनर्गठन जरूरी है। राज्यसभा सदस्य स्वामी ने कहा है कि जीएसटीएन (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नेटवर्क) एक विशेष प्रयोजन कंपनी है और इसमें निजी संस्थानों का दबदबा है जिनमें विदेशी शेयरधारकों की बहुलांश हिस्सेदारी है।
स्वामी मोदी को लिखे पत्र में कहा है, ‘मुझे मीडिया के माध्यम से यह जानकर खुशी है कि आपने जीएसटी या जीएसटीएन के अनुपालन के मुद्दे पर वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की है क्योंकि आपको पता है कि जीएसटीएन डेटा प्रसंस्करण और कर राजस्व संग्रह करने वाली एक निजी कंपनी है। इसे गृह मंत्रालय से कभी भी सुरक्षा मंजूरी नहीं मिली है जबकि इस तरह की मंजूरी अनिवार्य है।
उन्होंने लिखा है कि जीएसटीएन का गठन पिछली संप्रग सरकार के समय किया गया था। इसमें केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 24.5 प्रतिशत और राज्य सरकारों की भागीदारी 24.5 प्रतिशत है, बाकी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी एचडीएफसी बैंक, एचडीएफसी लिमिटेड, आईसीआईसीआई बैंक, एनएसई, स्ट्रैटिजिक इंवेस्टमेंट कारपोरेशन और एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के पास है।
स्वामी ने कहा है कि आईसीआईसीआई और एचडीएफसी के करीब 65-80 प्रतिशत शेयर विदेशियों के पास हैं और ‘इस तरह जीएसटीएन विदेशियों द्वारा नियंत्रित निकाय है और इसका पुनर्गठन जरूरी है।’ उन्होंने कहा है कि जीएसटीएन के कारोबार की ऑडिट का कैग को अधिकार नहीं है जबकि जीएसटी लागू होने पर इसके जरिए भारी राशि का लेन-देन होगा। स्वामी ने इस कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को एक करोड़ रपये के वेतन-भत्ते पर भी सवाल खड़े किए हैं।
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