पिछले दिनों तेजाब से जुड़े अपराध में मामले में पहली बड़ी सजा हुई. प्रीति राठी तेजाब कांड में मुंबई की अदालत ने मौत की सजा सुनाई. तेजाब कांड में ही कुख्यात बिहार के शहाबुद्दीन की रिहाई देशभर में मुद्दा बनी हुई है. इन सब के बीच तेजाब का कहर जारी है. मथुरा में तेजाब हमले में शिकार युवती ने दम तोड़ दिया है और दिल्ली के कई अस्पतालों में निर्दोश, एसिड अटैक के बाद जिंदगी के लिए जंग लड़ रही हैं.
तेजाब के हमले में चेहरा तो खत्म होता ही है लेकिन उसके साथ ही जल कर राख हो जाते हैं कई सपने. वो सपने जो हर समाज में जिंदगी में आगे बढ़ती हुई लड़की देखती है. तेजाब जिंदगी की कई परतों में घुसकर उन्हें खाक कर देता है. तेजाब से चेहरा ही नहीं जिंदगी का बड़ा हिस्सा भी जल जाता है.
लेकिन, इसी जले हुए चेहरे के साथ शुरू होती है हौसले की भी कहानी. कुछ ऐसी कहानियां जिन्होंने तेजाब में सपनों के जलने का दर्द झेला लेकिन नापाक इरादों का एसिड उनकी हिम्मत को नहीं जला पाया. एबीपी न्यूज डॉट कॉम कुछ ऐसी ही हिम्मत की कहानियों को पेश करने जा रहा है जो एसिड अटैक के बाद भी जिंदगी को तलाशने निकलीं और आगे बढ़ चली.
लक्ष्मी की कहानी…
नई दिल्ली : तेजाब और उसकी दर्दनाक कहानियां देश में कई जगहों पर सुनाई देती हैं. घटनाओं को लेकर चर्चा भी होती है लेकिन, कुछ ही देर में लोग इसे भूल जाते हैं. लेकिन, जिनपर इस तेजाब का कहर टूटा होता है उनकी जिंदगी खत्म हो जाती है. तेजाब सिर्फ चेहरा ही नहीं जलाता बल्कि जिंगदी के कई पहलू खाक कर देता है. कई दर्दनाक दास्तानों में से एक है लक्ष्मी की कहानी.
आम लड़कियों की तरह सपने देखा करती थी
लक्ष्मी भी आम लड़कियों की तरह सपने देखा करती थी. उसके भी ख्वाबों की उड़ान उसी ओर थी जहां दुनिया की हर लड़की पहुंचना चाहती है. कुदरत ने उसे शानदार आवाज बख्शी थी और इस रेशमी गले का जादू चलना भी शुरू हो गया था. लोग उसके गाने को पहचाने लगे थे और रियलटी शो ‘इंडियन ऑयडल’ में जाने के लिए बेकरार थी. वह अपने इस सपने को पूरा करने में लगी थी.
साल ऐसा था कि उसके सारे सपने चूर हो गए
लेकिन, सन 2005 का वो साल ऐसा था कि उसके सारे सपने चूर हो गए. वह राख हो गई और गुमनामी और अकेलेपन के अंधेरे में खो गई. दरअसल, उसके एक दोस्त का भाई उसे लगातार परेशान कर रहा था. गरीब घर से ताल्लुक रखने वाली लक्ष्मी अपने लक्ष्य पर ध्यान दे रही थी और मनचले को लगातार नजरअंदाज कर रही थी. उसे भनक भी नहीं थी कि उसके साथ क्या होने वाला है.
18 अप्रैल को वह आईएनए के बस स्टैंड पर खड़ी थी
18 अप्रैल को वह आईएनए के बस स्टैंड पर खड़ी थी. उसी समय आरोपी नईम खान वहां पहुंचा और उसने लक्ष्मी पर तेजाब फेंक दिया. इसके बाद तो वह सन्न रह गई. देखते-देखते उसका चेहरा खत्म हो गया और उसके कान गल गए. आंखों के सामने हाथ आ जाने की वजह से उसके आंखों की रोशनी बच गई. लेकिन, उसकी जिंदगी के सारे सपने पलभर में ही जल कर खाक हो चुके थे.
उसकी तकलीफों का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ
लेकिन, उसकी तकलीफों का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ. उसके रिश्तेदारों और दोस्तों ने उससे मिलना-जुलना बंद कर दिया. 10 सप्ताह बाद जब उसने खुद को आईने के सामने पाया तो एक बार फिर वही हादसा उसकी आंखों के सामने गुजर गया. उससे भी बड़ा झटका यह लगा कि आरोपी एक माह में ही बेल पर बाहर आ गया और शादी कर आराम की जिंदगी जीने लगा. हालांकि, बाद में उसे सात साल की कैद हुई और अगले दो सालों में वह बाहर भी आ जाएगा.
लक्ष्मी का वक्त अब कोई नहीं लौटा सकता है
लेकिन, लक्ष्मी का वक्त अब कोई नहीं लौटा सकता है. उसे दर-दर भटकने के बाद भी कहीं नौकरी तक नहीं मिली. उसके अबतक 7 से ज्यादा ऑपरेशन हो चुके हैं और कम से कम 4 बड़े ऑपरेशन अभी बाकी हैं. इसके बाद ही प्लास्टिक सर्जरी होगी. अदालत ने उसे करीब 3 लाख रुपए की मदद भी दिलाई थी लेकिन, यह पैसे अभी उसके इलाज के लिए कम पड़ रहे हैं.
इन सब के बीच लक्ष्मी ने हिम्मत नहीं हारी है
इन सब के बीच लक्ष्मी ने हिम्मत नहीं हारी है. वह जिंदगी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना चाहती है. इसी क्रम में वह गैरसरकारी संगठन छांव के साथ मिलकर एसिड अटैक पी़ड़िताओं को हिम्मत बांध रही है. वह देशभर में घूम-घूम कर ऐसे सरवाईवर्स की हिम्मत बढ़ाती है और उन्हें जिंदगी की जंग में बंधे रहने की तरकीब सिखाती है. वह हारी नहीं है.
वह इंसाफ की लड़ाई भी लड़ रही है
वह इंसाफ की लड़ाई भी लड़ रही है. उसका यही कहना है कि तेजाब लेकर कानून अभी और सख्त करने की जरूरत है. इसने उसकी और उसके जैसी तमाम लड़कियों को बहुत परतों तक बर्बाद किया है. वह चाहती है कि सरकार सख्त कानून लेकर आए और हर पीड़िता को इंसाफ मिले.
तेजाब के हमले में चेहरा तो खत्म होता ही है लेकिन उसके साथ ही जल कर राख हो जाते हैं कई सपने. वो सपने जो हर समाज में जिंदगी में आगे बढ़ती हुई लड़की देखती है. तेजाब जिंदगी की कई परतों में घुसकर उन्हें खाक कर देता है. तेजाब से चेहरा ही नहीं जिंदगी का बड़ा हिस्सा भी जल जाता है.
लेकिन, इसी जले हुए चेहरे के साथ शुरू होती है हौसले की भी कहानी. कुछ ऐसी कहानियां जिन्होंने तेजाब में सपनों के जलने का दर्द झेला लेकिन नापाक इरादों का एसिड उनकी हिम्मत को नहीं जला पाया. एबीपी न्यूज डॉट कॉम कुछ ऐसी ही हिम्मत की कहानियों को पेश करने जा रहा है जो एसिड अटैक के बाद भी जिंदगी को तलाशने निकलीं और आगे बढ़ चली.
लक्ष्मी की कहानी…
नई दिल्ली : तेजाब और उसकी दर्दनाक कहानियां देश में कई जगहों पर सुनाई देती हैं. घटनाओं को लेकर चर्चा भी होती है लेकिन, कुछ ही देर में लोग इसे भूल जाते हैं. लेकिन, जिनपर इस तेजाब का कहर टूटा होता है उनकी जिंदगी खत्म हो जाती है. तेजाब सिर्फ चेहरा ही नहीं जलाता बल्कि जिंगदी के कई पहलू खाक कर देता है. कई दर्दनाक दास्तानों में से एक है लक्ष्मी की कहानी.
आम लड़कियों की तरह सपने देखा करती थी
लक्ष्मी भी आम लड़कियों की तरह सपने देखा करती थी. उसके भी ख्वाबों की उड़ान उसी ओर थी जहां दुनिया की हर लड़की पहुंचना चाहती है. कुदरत ने उसे शानदार आवाज बख्शी थी और इस रेशमी गले का जादू चलना भी शुरू हो गया था. लोग उसके गाने को पहचाने लगे थे और रियलटी शो ‘इंडियन ऑयडल’ में जाने के लिए बेकरार थी. वह अपने इस सपने को पूरा करने में लगी थी.
साल ऐसा था कि उसके सारे सपने चूर हो गए
लेकिन, सन 2005 का वो साल ऐसा था कि उसके सारे सपने चूर हो गए. वह राख हो गई और गुमनामी और अकेलेपन के अंधेरे में खो गई. दरअसल, उसके एक दोस्त का भाई उसे लगातार परेशान कर रहा था. गरीब घर से ताल्लुक रखने वाली लक्ष्मी अपने लक्ष्य पर ध्यान दे रही थी और मनचले को लगातार नजरअंदाज कर रही थी. उसे भनक भी नहीं थी कि उसके साथ क्या होने वाला है.
18 अप्रैल को वह आईएनए के बस स्टैंड पर खड़ी थी
18 अप्रैल को वह आईएनए के बस स्टैंड पर खड़ी थी. उसी समय आरोपी नईम खान वहां पहुंचा और उसने लक्ष्मी पर तेजाब फेंक दिया. इसके बाद तो वह सन्न रह गई. देखते-देखते उसका चेहरा खत्म हो गया और उसके कान गल गए. आंखों के सामने हाथ आ जाने की वजह से उसके आंखों की रोशनी बच गई. लेकिन, उसकी जिंदगी के सारे सपने पलभर में ही जल कर खाक हो चुके थे.
उसकी तकलीफों का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ
लेकिन, उसकी तकलीफों का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ. उसके रिश्तेदारों और दोस्तों ने उससे मिलना-जुलना बंद कर दिया. 10 सप्ताह बाद जब उसने खुद को आईने के सामने पाया तो एक बार फिर वही हादसा उसकी आंखों के सामने गुजर गया. उससे भी बड़ा झटका यह लगा कि आरोपी एक माह में ही बेल पर बाहर आ गया और शादी कर आराम की जिंदगी जीने लगा. हालांकि, बाद में उसे सात साल की कैद हुई और अगले दो सालों में वह बाहर भी आ जाएगा.
लक्ष्मी का वक्त अब कोई नहीं लौटा सकता है
लेकिन, लक्ष्मी का वक्त अब कोई नहीं लौटा सकता है. उसे दर-दर भटकने के बाद भी कहीं नौकरी तक नहीं मिली. उसके अबतक 7 से ज्यादा ऑपरेशन हो चुके हैं और कम से कम 4 बड़े ऑपरेशन अभी बाकी हैं. इसके बाद ही प्लास्टिक सर्जरी होगी. अदालत ने उसे करीब 3 लाख रुपए की मदद भी दिलाई थी लेकिन, यह पैसे अभी उसके इलाज के लिए कम पड़ रहे हैं.
इन सब के बीच लक्ष्मी ने हिम्मत नहीं हारी है
इन सब के बीच लक्ष्मी ने हिम्मत नहीं हारी है. वह जिंदगी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना चाहती है. इसी क्रम में वह गैरसरकारी संगठन छांव के साथ मिलकर एसिड अटैक पी़ड़िताओं को हिम्मत बांध रही है. वह देशभर में घूम-घूम कर ऐसे सरवाईवर्स की हिम्मत बढ़ाती है और उन्हें जिंदगी की जंग में बंधे रहने की तरकीब सिखाती है. वह हारी नहीं है.
वह इंसाफ की लड़ाई भी लड़ रही है
वह इंसाफ की लड़ाई भी लड़ रही है. उसका यही कहना है कि तेजाब लेकर कानून अभी और सख्त करने की जरूरत है. इसने उसकी और उसके जैसी तमाम लड़कियों को बहुत परतों तक बर्बाद किया है. वह चाहती है कि सरकार सख्त कानून लेकर आए और हर पीड़िता को इंसाफ मिले.
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