नई दिल्ली : उरी हमले के बाद पाकिस्तान को अलग-थलग करने की अपनी मुहिम तेज करते हुए भारत ने मंगलवार को बड़ा फैसला किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नवंबर में पाकिस्तान में होने वाले सार्क सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेंगे। यह सम्मेलन 9-10 नवंबर को इस्लामाबाद में प्रस्तावित है। भारत ने दक्षेस की अध्यक्षता कर रहे नेपाल से कहा है कि एक देश ने ऐसा माहौल बना दिया है जो शिखर सम्मेलन के लिए हितकारी नहीं है।
PM Modi not to take part in SAARC summit in Islamabad: MEA— ANI (@ANI_news) September 27, 2016
In the prevailing circumstances, the Government of India is unable to participate in the proposed Summit in Islamabad: MEA— ANI (@ANI_news) September 27, 2016
गौरतलब है कि 18 सितंबर को उरी में हुए आतंकवादी हमले में 19 जवान शहीद हुए थे। एएनआई ने विदेश मंत्रालय के हवाले से कहा है कि मौजूदा परिस्थितियों में भारत सरकार इस्लामाबाद में प्रस्तावित सम्मेलन में हिस्सा लेने में असमर्थ है। विदेश मंत्रालय ने सार्क के मौजूदा अध्यक्ष नेपाल को बताया है कि सीमा-पार से आतंकवादी घटनाएं बढ़ी हैं।
Other countries skipping SAARC summit in Pakistan are Afghanistan, Bangladesh and Bhutan: Sources to ANI— ANI (@ANI_news) September 27, 2016
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘भारत ने दक्षेस के मौजूदा अध्यक्ष नेपाल को अवगत करा दिया है कि क्षेत्र में सीमा पार से आतंकवादी हमलों में वृद्धि और एक देश द्वारा सदस्य देशों के आंतरिक मामलों में बढ़ते हस्तक्षेप ने ऐसा वातावरण बना दिया है जो 19वें दक्षेस सम्मेलन के सफल आयोजन के अनुकूल नहीं है।’ इसमें कहा गया है कि मौजूदा परिदृश्य में भारत सरकार इस्लामाबाद में प्रस्तावित सम्मेलन में शामिल होने में असमर्थ है।
इसमें कहा गया है कि हम यह भी समझते हैं कि दक्षेस के कुछ अन्य सदस्य देशों ने भी नवंबर 2016 में इस्लामाबाद में आयोजित सम्मेलन में शामिल होने को लेकर अपनी असमर्थता जतायी है। सूत्रों के अनुसार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान अन्य देश हैं जिन्होंने सम्मेलन में शामिल नहीं होने की बात की है।
नेपाल को भेजे पत्र में भारत ने कहा कि वह क्षेत्रीय सहयोग और संपर्क के प्रति अपनी दृढ़ता पर कायम है लेकिन उसका मानना है कि ये सब आतंकवाद मुक्त माहौल में ही हो सकता है। यह घोषणा ऐसे दिन की गयी है जब विदेश सचिव एस जयशंकर ने पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को उरी हमले को लेकर दूसरा डिमार्शे जारी किया और उन्हें उस आतंकवादी हमले में ‘सीमापार स्रोत’ के सबूत दिखाये जिसमें 18 जवान शहीद हो गए थे। उरी हमले के बाद भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और 56 वर्ष पुरानी सिंधु जल संधि की समीक्षा की है। इसके साथ ही भारत ने पाकिस्तान को एकतरफा दिए गए सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र (एमएफएन) के दर्जे की समीक्षा करने का फैसला किया है।
विदेश सचिव ने बासित को बुलाया और उन्हें बताया कि प्रारंभिक जांच के अनुसार उरी घटना में मारे गए एक हमलावर की पहचान हाफिज अहमद के तौर पर हुई है जो फिरोज का पुत्र और मुजफ्फराबाद के धारबंग का निवासी है। जांच में आतंकवादियों के पाकिस्तान स्थित आकाओं का ब्यौरा भी मिला है। दोनों देश संयुक्त राष्ट्र में वाकयुद्ध में उलझे हुए हैं और भारत ने पाकिस्तान को ‘आतंकवादी देश’ तथा आतंकवाद का वैश्विक केंद्र कहा है।
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