मऊ। दलितों के घर भोजन करने जाना राजनीति का नया शगल है। नेता यह नहीं सोचते कि गरीब आदमी उनके लिए खाना कहां से लायेगा। यही फिर हुआ, जब राहुल गांधी को खाना खिलाने के लिए निर्धन स्वामीनाथ को अपने पड़ोसी से 10 किलो आटा उधार लेना पड़ा। चूंकि यह सियासती भोजन था तो अगले ही दिन एक सपा नेता स्वामीनाथ को 25 हजार रुपये की सहायता दे आये। आगे जाने गरीब का भाग्य।
किसान यात्रा लेकर निकले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश के मऊ स्थित बड़ागांव निवासी बेहद गरीब दलित स्वामीनाथ के घर खाना क्या खाया, उस बेचारे की गरीबी सियासत का नया केंद्र बन गई। तीन बेटियों और एक बेटे का पिता स्वामीनाथ पत्नी के साथ दैनिक मजदूरी करता है। एक कमरे में रहने वाले स्वामीनाथ ने आटे का जुगाड़ कर लिया तो ईंधन न होने के कारण बारिश में गीले हो गए बांस के टुकड़ों को जलाकर पत्नी रुक्मिणी ने हथरोटियां (हाथ से बनाई जाने वाली मोटी रोटी) और चोखा बनाया।
राहुल और गुलाम नबी आजाद को खाना देने के लिए थाली खोजी गई तो वे टूटी-फूटी थीं। घर में महज पांच थाली, दो गिलास और एक चम्मच ही बर्तनों के नाम पर निकले। अगले दिन यह परिवार अपने लिए किसी तरह कद्दू की सब्जी और रोटी का इंतजाम कर सका।
राहुल गांधी ने मऊ में किया दलित स्वामीनाथ के घर भोजन
महज तीन मंडा (छह बिस्वा) खेत भी उसके लिए जी का जंजाल ही बन गया है। ऊबड़-खाबड़ खेत को समतल कराने के लिए केसीसी से वर्ष 2014 में लिया गया 50 हजार रुपये का ऋण मय ब्याज 60 हजार तक जा पहुंचा है। बड़ी बेटी की शादी के बाद दूसरी बेटी बीना और बेटे बब्बन ने इसी वर्ष 10वीं की परीक्षा यूपी बोर्ड से पास की, मगर पैसे के अभाव में अभी तक मार्कशीट नहीं आ सकी और न ही 11वीं में दाखिला हो सका। इससे बेटी वंदना का डॉक्टर बनने का सपना दम तोड़ने लगा है। छोटी बेटी आठवीं में पढ़ती है। वह भी पुलिस में भर्ती होने का ख्वाब संजोये है।
योजनाओं का लाभ नहीं
गरीबों के लिए चलाई जाने वाली विकास योजनाएं इस परिवार तक नहीं पहुंच सकी हैं। परिवार के पास न तो ढंग का आवास है, न शौचालय और न ही हैंडपंप। राहुल गांधी के जाने के बाद उसी गांव के रहने वाले और पीसीसी सदस्य राज कुमार राय के अलावा अन्य कोई बड़ा कांग्रेसी नेता फिर उसके दरवाजे पर नहीं पहुंचा।
सम्मान तो मिला
वैसे पिता स्व. सरजू राम के जमाने से कांग्रेसी रहे इस दलित परिवार की बांछें खिल गईं हैं। स्वामीनाथ लोगों को पार्टी से जोड़ने के लिए घूम-घूम कर कांग्रेस का पोस्टर चस्पा करने लगा है। गांव के अन्य लगभग 500 दलित परिवारों में उसकी पूछ बढ़ गई है। स्वामीनाथ को संतोष है, वह कहते हैं कि राहुल जी के आने से भले ही कुछ न मिला हो, सम्मान तो मिला।
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