ऐसा हम सभी के साथ होता है कि हम अपने सपनों को पूरा न कर पाने का ठीकरा दूसरों के सिर फोड़ देते हैं. कभी अपने परिवार की आर्थिक स्थितियों को जिम्मेदार ठहराना तो कभी खुद ही बेमन सा पड़ जाना. मगर वो किसी ने कहा है न कि, लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. अमेरिका के मिसौरी में रहने वाली गाबी शुल की कहानी भी कुछ ऐसी ही है.
महज 9 साल में गंवानी पड़ी टांग...
गाबी को महज 9 साल की छोटी उम्र में कैंसर जैसी बीमारी से जूझना पड़ा. आइस स्केटिंग के दौरान लगी छोटी सी चोट ने कैंसर का रूप अख्तियार कर लिया. एक्स-रे रिपोर्ट में कैंसर निकला. वे और उनका परिवार तो बेहद डर गए. उन्हें दाहिना पैर गंवाना पड़ा. इस सभी के बावजूद वह आज रोटेशनप्लास्टी सर्जरी के दम पर न सिर्फ चल सकती हैं बल्कि बैले डांसर बन कर अपने सपने को भी पूरा कर रही हैं.
बैले है गाबी का पहला प्यार...
गाबी और उनके परिवार को जब पता चला कि उनकी एक टांग काटनी पड़ेगी तो यह खबर उनके लिए किसी वज्र प्रहार सरीखा था. हालांकि गाबी फिर भी हॉस्पिटल के बिस्तर से उठ कर पहले चलने और फिर नाचने की सोच रही थीं. शायद यही वजह है कि 15 वर्षीय यह डांसर न सिर्फ हिप-हॉप, टैप, जैज, कन्टेम्पररी और लिरिकल डांस क्लासेस ले रही है बल्कि बच्चों में कैंसर के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास भी कर रही हैं.
महज 9 साल में गंवानी पड़ी टांग...
गाबी को महज 9 साल की छोटी उम्र में कैंसर जैसी बीमारी से जूझना पड़ा. आइस स्केटिंग के दौरान लगी छोटी सी चोट ने कैंसर का रूप अख्तियार कर लिया. एक्स-रे रिपोर्ट में कैंसर निकला. वे और उनका परिवार तो बेहद डर गए. उन्हें दाहिना पैर गंवाना पड़ा. इस सभी के बावजूद वह आज रोटेशनप्लास्टी सर्जरी के दम पर न सिर्फ चल सकती हैं बल्कि बैले डांसर बन कर अपने सपने को भी पूरा कर रही हैं.
बैले है गाबी का पहला प्यार...
गाबी और उनके परिवार को जब पता चला कि उनकी एक टांग काटनी पड़ेगी तो यह खबर उनके लिए किसी वज्र प्रहार सरीखा था. हालांकि गाबी फिर भी हॉस्पिटल के बिस्तर से उठ कर पहले चलने और फिर नाचने की सोच रही थीं. शायद यही वजह है कि 15 वर्षीय यह डांसर न सिर्फ हिप-हॉप, टैप, जैज, कन्टेम्पररी और लिरिकल डांस क्लासेस ले रही है बल्कि बच्चों में कैंसर के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास भी कर रही हैं.
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