सरकार की ओर से संचालित त्रिवेंद्रम मेडिकल कॉलेज ने छात्राओं को तुगलकी फरमान जारी किया है. इसके मुताबिक छात्राओं पर जींस, लेगिंग्स और शॉर्ट टॉप्स पहन कर क्लास में आने पर बैन लगा दिया गया है. यही नहीं छात्राएं मरीजों को देखते समय आवाज करने वाले किसी तरह की ज्वेलरी भी नहीं पहन सकतीं.
कॉलेज प्रिंसिपल की ओर से गुरुवार को इस आदेश का सर्कुलर जारी किया गया. छात्राओं से कहा गया है कि वे चूड़ीदार या साड़ी पहन कर क्लास में आएं और साथ ही अपने बालों को भी बांध कर रखें. कॉलेज के छात्रों पर भी जींस, टी-शर्ट्स, अन्य कैजुअल्स और चप्पल पहन कर क्लास में आने पर भी रोक लगा दी गई है. उनसे कहा गया है कि साफ और सभ्य कपड़े पहन कर क्लास में आएं.
छात्र-छात्राओं में रोष
कॉलेज के कुछ छात्र-छात्राओं में इस फरमान को लेकर रोष है. उनका कहना है कि उन्हें अपनी पसंद के कपड़े पहनने की आजादी होनी चाहिए. साथ ही उन्हें ऐसे कपड़े पहनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, जो मरीजों को सूट करते हों.
मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों ने दी सफाई
सर्कुलर पर विवाद होने के बाद मेडिकल कॉलेज अधिकारियों की ओर से सफाई दी गई कि इस तरह का सर्कुलर हर साल जारी किया जाता है जब नए छात्र कॉलेज में दाखिला लेकर आते हैं. मेडिकल कॉलेज की वाइस प्रिंसिपल डी के गिरिजा कुमार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि हर साल की तरह इस बार भी सर्कुलर जारी किया गया. कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि अधिकतर छात्र ड्रेस कोड का पालन कर रहे हैं और उनमें से कोई भी शिकायत नहीं कर रहा. सिर्फ कुछ स्टूडेंट्स ही ड्रेस कोड को नहीं मान रहे.
ड्रेस कोड का होगा कड़ाई से पालन
वाइस प्रिंसिपल ने कहा कि ड्रेस कोड सिर्फ क्लास में हिस्सा लेने और वार्ड्स में मरीजों को देखते वक्त के लिए हैं. इसके अलावा वो अपनी मर्जी के कपड़े पहन सकते हैं. वाइस प्रिंसिपल ने कहा कि दूसरे से चौथे साल के छात्र अपना अधिकतर वक्त हॉस्पिटल में मरीजों के साथ बिताते हैं. ऐसे में भविष्य के डॉक्टरों से उचित ढंग के कपड़े पहनने की अपेक्षा की जाती है. उन्हें एप्रिन पहनने के साथ आईकार्ड भी गले में लटका कर रखना चाहिए. इस साल से मेडिकल कॉलेज ने ड्रेस कोड का कड़ाई से पालन कराने का फैसला किया है.
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