प्रतापगढ़। नवरात्र के दौरान श्रद्धालु मां भगवती को प्रसन्न करने के अलग-अलग जतन करते हैं। इस दौरान नारियल, सिन्दूर, मेहंदी, चूडिया, बिंदी, वस्त्र आदि मां को भेंट किए जाते हैं लेकिन, क्या आपको मालूम है कि एक ऐसा मंदिर है, जहां देवी को हथकड़ी और बेड़ियां चढ़ाई जाती हैं। मंदिर में हथकड़ी और बेड़ियां चढ़ाने की एक खास मान्यता है।
राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के जोलर ग्राम पंचायत में दिवाक माता का प्रचीन मंदिर है। इनमें से कई श्रद्धालु देवी को प्रसन्न करने के लिए हथकड़ी और बेड़ियां चढ़ाते हैं। बताया जाता है कि कुछ हथकड़ियां तो 200 साल से भी पुरानी हैं।
![जेल जाने से बचने के लिए श्रद्धालु माता के पास चढ़ाते हैं हथकड़ी जेल जाने से बचने के लिए श्रद्धालु माता के पास चढ़ाते हैं हथकड़ी](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEic2TPHrl9T9BwUltl6nfLFqXBhMlX3kRAB0Sk_B4Vy95bcpC4q8MtwmY9Qa-nCn3yyPv4M_gqFslLNf2wawdgo457PFQD-ujynys_HeiHMcM9Kno9BdMmGPq7TNEjfjuIygGSvvTz0ibI/s640/temple.jpg)
कहा जाता है कि दिवाक माता के नाम से ही हथकड़ियां और बेड़ियां अपने आप खुल जाती हैं। डाकू यहां मन्नत मांगते थे कि अगर वे डाका डालने में सफल रहे और पुलिस के चंगुल से बच गए, तो वे यहां हथकड़ी और बेड़ियां चढ़ाएंगे।
रियासत काल के एक नामी डाकू पृथ्वीराणा ने जेल में दिवाक माता से मन्नत मांगी थी कि अगर वह जेल तोड़कर भागने में सफल रहा, तो वह सीधा यहां दर्शन करने के लिए आएगा। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि दिवाक माता के स्मरण मात्र से ही उसकी बेड़ियां टूट गई और वह जेल से भाग जाने में सफल रहा। तब से यह परंपरा चली आ रही है। आज भी अपने किसी रिश्तेदार या परिचित को जेल से मुक्त कराने के लिए परिजन यहां हथकड़ी और बेड़ियां चढ़ाते हैं।
राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के जोलर ग्राम पंचायत में दिवाक माता का प्रचीन मंदिर है। इनमें से कई श्रद्धालु देवी को प्रसन्न करने के लिए हथकड़ी और बेड़ियां चढ़ाते हैं। बताया जाता है कि कुछ हथकड़ियां तो 200 साल से भी पुरानी हैं।
![जेल जाने से बचने के लिए श्रद्धालु माता के पास चढ़ाते हैं हथकड़ी जेल जाने से बचने के लिए श्रद्धालु माता के पास चढ़ाते हैं हथकड़ी](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEic2TPHrl9T9BwUltl6nfLFqXBhMlX3kRAB0Sk_B4Vy95bcpC4q8MtwmY9Qa-nCn3yyPv4M_gqFslLNf2wawdgo457PFQD-ujynys_HeiHMcM9Kno9BdMmGPq7TNEjfjuIygGSvvTz0ibI/s640/temple.jpg)
कहा जाता है कि दिवाक माता के नाम से ही हथकड़ियां और बेड़ियां अपने आप खुल जाती हैं। डाकू यहां मन्नत मांगते थे कि अगर वे डाका डालने में सफल रहे और पुलिस के चंगुल से बच गए, तो वे यहां हथकड़ी और बेड़ियां चढ़ाएंगे।
रियासत काल के एक नामी डाकू पृथ्वीराणा ने जेल में दिवाक माता से मन्नत मांगी थी कि अगर वह जेल तोड़कर भागने में सफल रहा, तो वह सीधा यहां दर्शन करने के लिए आएगा। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि दिवाक माता के स्मरण मात्र से ही उसकी बेड़ियां टूट गई और वह जेल से भाग जाने में सफल रहा। तब से यह परंपरा चली आ रही है। आज भी अपने किसी रिश्तेदार या परिचित को जेल से मुक्त कराने के लिए परिजन यहां हथकड़ी और बेड़ियां चढ़ाते हैं।
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