पूरी दुनिया को अपने अड़ियल और बेखौफ रवैये से परेशान करने वाले उत्तर कोरिया ने अब एक और खतरनाक काम किया है. तानाशाह किम जोंग उन ने रविवार को एक और परामणु मिसाइल का परिक्षण किया है. ऐसा माना जा रहा कि ये मिसाइल टेस्ट उत्तर कोरिया के पड़ोसी देशों के अलावा सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका के लिए भी बड़ा खतरा है.
काफी समय तक शांत बैठे हुए किम जोंग उन के इस परिक्षण ने दुनियाभर की बड़ी ताकतों को चिंता में डाल दिया है. उत्तर कोरिया से दागी गई ये मिसाइल पूरब की दिशा में जापानी सागर में 500 किलोमीटर दूर जाकर गिरी. माना जा रहा है कि उत्तर कोरिया ने दूर तक मार करना वाली 'रोडोंग' मिसाइल या उसके जैसी ही किसी मिसाइल का परीक्षण किया है.
रोडोंग मिसाइल करीब 6000 किलोमीटर तक मार कर सकती है. हालांकि जानकार कह रहे हैं कि ये एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक मार करने वाली लंबी दूरी की 'आईसीबीएम' मिसाइल नहीं थी, जिसे कुछ महीने पहले किम जोंग उन ने लॉन्च करने की धमकी दी थी. अपने पड़ोसी मुल्क की इस हरकत की दक्षिण कोरिया ने निंदा की है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चो जून युक ने कहा कि ये मिसाइल लॉन्च किम सरकार की तर्कहिनता को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया के इस कदम से उनका परमाणु हथियारों और बालिस्टिक मिसाइलों के प्रति पगलपन भी उजागर होता है.
इस मिसाइल टेस्ट का सबसे बड़ा प्रभाव अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर पड़ सकता है. किम जोंग-उन ने जनवरी में अमेरिका तक मार करने वाली लंबी दूरी की मिसाइल के परीक्षण की धमकी दी थी. तब डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया था की उत्तर कोरिया ऐसा नहीं करेगा. बेशक उत्तर कोरिया ने लंबी दूरी की मिसाइल नहीं दागी लेकिन माना जा रहा है कि ये परीक्षण ऐसी मिसाइल बनाने में मददगार बनेगा. परीक्षण का मकसद पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर जाने के बाद वापस आ कर निशाने पर गिरने वाली मिसाइल की तकनीक को दुरुस्त करना था.
डिफेंस एक्सपर्ट कमर आगा ने बताया कि डोनाल्ड ट्रंप के आने के बाद अमेरिका ने नॉर्थ कोरिया से बात करने की पहल की थी, लेकिन नॉर्थ कोरिया ने अमेरिका की बात सुनना जरूरी नहीं समझा. माना जा रहा कि तानाशाह किम जोंग-उन देखना चाहता है कि उससे सख्ती से निपटने का जो इरादा डोनाल्ड ट्रंप ने जाहिर किया था, उस पर वो कितने कायम हैं. यही कारण है कि ये परीक्षण तब किया गया है जब कि जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे अमेरिका की यात्रा पर हैं. दोनों नेताओं ने उत्तर कोरिया के ताजा खतरे से मुकाबला करने का इरादा जताया है.
हालांकि ये अभी तक साफ नहीं है कि ट्रंप प्रशासन मिसाइल परीक्षण का जवाब कैसे देगा लेकिन माना जा रहा है कि जापान और दक्षिण कोरिया में अमेरिकी सेना की मौजूदगी बढ़ सकती है. अमेरिका ने दोनों देशों को मिसाइलों से सुरक्षा देने वाली हथियार प्रणाली तैनात कर रखी है. यहां लगे अमेरिका के एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम उत्तर कोरिया से आने वाली किसी भी मिसाइल को हवा में ही नीचे गिरा सकते हैं.
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