उत्तर प्रदेश में पहले चरण के लिए चुनावी शोर थम चुका है. 15 जिलों की 73 सीटों पर 11 फरवरी को मतदान होने हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अभी तक एक भी जनसभा नहीं की है. कहा जा रहा है कि पार्टी के प्रत्याशी उनसे सभा कराने से ही कतरा रहे हैं. शुरूआत में यह कहा जा रहा था कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच हुए गठबंधन से मुलायम सिंह खुश नहीं हैं. इसी वजह से स्टार प्रचारक होने के बावजूद उन्होंने एक भी जनसभा को संबोधित नहीं किया.
लेकिन सूत्रों के हवाले से जो खबर आ रही है, उसकी कहानी कुछ और ही है. समाजवादी पार्टी पर अखिलेश के एकाधिकार से पहले जहां पार्टी के उम्मीदवार नेताजी से अपने क्षेत्र में सभा कराने के लिए लाइन लगाए रहते थे, अब वे ही प्रत्याशी मुलायम सिंह यादव से बचते नजर आ रहे हैं. कुछ प्रत्याशियों का कहना है कि अगर मुलायम उनके लिए प्रचार न ही करें तो बेहतर है. इसकी वजह मुलायम सिंह यादव के पल-पल बदलते बयान को बताया जा रहा है. जिसकी वजह से पार्टी से जुड़े नेताओं को डर है कि नेताजी के प्रचार से कहीं दांव उल्टा न पड़ जाए.
अभी तक मुलायम सिंह यादव की सिर्फ दो सभाएं ही तय हुई हैं. उनमें से एक 11 फरवरी को इटावा की जसवंतनगर में होगी. यहां से उनके छोटे भाई शिवपाल यादव चुनाव मैदान में हैं. उनकी दूसरी जनसभा 14 फरवरी को लखनऊ कैंट में प्रस्तावित है, जहां से उनकी छोटी बहू अपर्णा यादव मैदान में हैं. गौर करने वाली बात यह है कि दोनों ही जनसभाएं मुलायम के अपने छोटे भाई और छोटी बहू के लिए ही रखी गई है.
नाम न छापने की शर्त पर एक समाजवादी पार्टी के नेता ने बताया, “पहले नेता जी गठबंधन से खुश नहीं थे, लेकिन बाद में वे पलट गए और कहा उन्हें इस गठबंधन से कोई दिक्कत नहीं है और वे अखिलेश और कांग्रेस के लिए प्रचार भी करेंगे. इस तरह के पल-पल बदलते बयानों की वजह से कोई भी प्रत्याशी उनको अपनी सभा में बुलाने से बच रहा हैं.”इतना ही नहीं यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी में मुस्लिम चेहरा और मुलायम सिंह यादव के करीबी आजम खान भी उनसे बचते नजर आ रहे हैं. बताया जा रहा है कि आजम ने अभी तक नेताजी को अपने क्षेत्र में सभा करने का ऑफिसियल न्योता नहीं दिया है.
आजम खान रामपुर खास से सपा के टिकट पर लड़ रहे हैं और हाल ही में हुए यादव परिवार के झगड़े को सुलझाने में उनकी अहम भूमिका भी रही थी. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के एक करीबी मंत्री की मानें तो इस समय यादव और मुस्लिम वोट सपा-कांग्रेस गठबंधन के पक्ष में है. जबकि कुछ समय पहले नेता जी ने अखिलेश यादव को मुस्लिम विरोधी बताया था और कहा था कि अखिलेश प्रदेश में मुस्लिम डीजीपी नियुक्त किए जाने के भी विरोध में थे. ऐसे माहौल में मुलायम को अपनी सभा में बुलाने का जोखिम कोई उठाना नहीं चाहता.
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