गुजरात के पाटीदार अनामत आंदोलन नेता हार्दिक पटेल, जिन्होंने कुछ महीने पहले गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ दिया था, को बुधवार को एक अदालत ने दो साल की सजा सुनाई है। उन्हें यह सजा २०१५ में एक भाजपा विधायक के दफ्तर पर हमला करने के मामले में सुनाई गयी है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक अदालत ने हार्दिक और उनके दो साथियों को इस मामले में दोषी ठहराते हुए सभी को दो-दो साल की सजा सुनाई है। इसके अलावा उन्हें 50-50 हजार रुपये मुआवजा भी भरना होगा। गौरतलब है कि मेहसाणा के विसनगर में 23 जुलाई, २०१५ को भाजपा विधायक ऋषिकेश पटेल के दफ्तर में तोड़फोड़ की गयी थी। इससे पहले मेहसाणा की जिला अदालत ने 2015 में पटेल के दफ्तर पर हमले मामले में हार्दिक, एके पटेल और लालजी पटेल के खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट जारी किये थे। अब अदालत ने इन तीनों को दोषी करार दिया है।
इस मामले में अदालत ने आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता पत्रकार को 10 हजार, दंगे के दौरान जिसकी कार जलाई गई उसे एक लाख रुपये और भाजपा विधायक को 40 हजार रुपये अदा किये जाएँ। हार्दिक जमानत की कोशिश कर रहे हैं और सम्भावना है कि उन्हें जमानत मिल जाए। मेहसाणा का विसनगर २०१५ में हुए पाटीदार आरक्षण आंदोलन का सबसे बड़ा गढ़ रहा था। फैसले के बाद अब इस पर राजनीति तेज हो सकती है।
यह भी दिलचस्प है कि हार्दिक पटेल पहले ही 25 अगस्त से सरकारी नौकरियों और शिक्षा में अपने समुदाय के सदस्यों को आरक्षण की मांग पर जोर देने के लिए बेमियादी अनशन शुरू करने का ऐलान कर चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि आमरण अनशन उनकी अंतिम जंग होगी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक अदालत ने हार्दिक और उनके दो साथियों को इस मामले में दोषी ठहराते हुए सभी को दो-दो साल की सजा सुनाई है। इसके अलावा उन्हें 50-50 हजार रुपये मुआवजा भी भरना होगा। गौरतलब है कि मेहसाणा के विसनगर में 23 जुलाई, २०१५ को भाजपा विधायक ऋषिकेश पटेल के दफ्तर में तोड़फोड़ की गयी थी। इससे पहले मेहसाणा की जिला अदालत ने 2015 में पटेल के दफ्तर पर हमले मामले में हार्दिक, एके पटेल और लालजी पटेल के खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट जारी किये थे। अब अदालत ने इन तीनों को दोषी करार दिया है।
इस मामले में अदालत ने आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता पत्रकार को 10 हजार, दंगे के दौरान जिसकी कार जलाई गई उसे एक लाख रुपये और भाजपा विधायक को 40 हजार रुपये अदा किये जाएँ। हार्दिक जमानत की कोशिश कर रहे हैं और सम्भावना है कि उन्हें जमानत मिल जाए। मेहसाणा का विसनगर २०१५ में हुए पाटीदार आरक्षण आंदोलन का सबसे बड़ा गढ़ रहा था। फैसले के बाद अब इस पर राजनीति तेज हो सकती है।
यह भी दिलचस्प है कि हार्दिक पटेल पहले ही 25 अगस्त से सरकारी नौकरियों और शिक्षा में अपने समुदाय के सदस्यों को आरक्षण की मांग पर जोर देने के लिए बेमियादी अनशन शुरू करने का ऐलान कर चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि आमरण अनशन उनकी अंतिम जंग होगी।
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