लखनऊ. बागपत जेल के अंदर मुन्ना बजरंगी की हुई हत्या ने जेल में बंद प्रदेश के बड़े-बड़े अपराधियों के चेहरों पर सिकन ला दिया है. वह हाई सुरक्षा के बीच भी जेल के अंदर अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. इसके साथ ही कई अपराधियों ने तो कड़ी सुरक्षा के बीच भी पेशी पर जाने को तैयार नहीं हैं.
चाहे वह मुख्तार अंसारी हो, बबलू श्रीवास्तव हो या सुंदर भाटी हो. वो न तो अपनी हाई सिक्योरिटी सेल से बाहर निकलते हैं और न ही पेशी में जाने को तैयार होते हैं. बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद से अपनी हाई सिक्योरिटी सेल से बाहर नहीं निकले हैं.
चाहे वह मुख्तार अंसारी हो, बबलू श्रीवास्तव हो या सुंदर भाटी हो. वो न तो अपनी हाई सिक्योरिटी सेल से बाहर निकलते हैं और न ही पेशी में जाने को तैयार होते हैं. बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद से अपनी हाई सिक्योरिटी सेल से बाहर नहीं निकले हैं.
गौरतलब है कि इसी साल जनवरी में बांदा जेल में अचानक अफवाह फैली थी कि मुख्तार अंसारी को जहर दे दिया गया है. हालांकि बाद में यह खबर आई कि मिलने गई पत्नी और मुख्तार दोनों को हार्ट अटैक आया है.
इसके बाद दोनों को लखनऊ लाया गया था, जहां पीजीआई में जांच के बाद स्वस्थ होने पर उन्हें वापस बांदा जेल भेजा गया था. यही वजह है कि मुख्तार अंसारी बांदा जेल के हाई सिक्योरिटी सेल के 16 नंबर बैरक से बाहर नहीं आ रहे हैं.
चाहे बबलू श्रीवास्तव हो या फिर सुभाष ठाकुर अलग-अलग जिलों में बंद देश के यह बड़े अपराधी डॉन फिलहाल जेलों में भी खुद को असुरक्षित और असहज महसूस कर रहे हैं. साथ ही इनके परिजन लगातार इनकी सुरक्षा की गुहार लगा रहे हैं.
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