कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के बीच राजस्थान के कोटा में फंसे छात्र-छात्रों को लेने गई करीब 100 बसें शनिवार को झांसी पहुंच गईं. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कोटा में फंसे स्टूडेंट्स को निकालने के लिए शुक्रवार को आगरा से 200 बसें और झांसी से 100 बसें कोटा भेजी थीं। कोटा से उत्तर प्रदेश लौटे सभी छात्र-छात्रों की स्क्रीनिंग होगी और उसके बाद उन्हें उनके गृहनगर भेजा जाएगा। कोटा में कोरोनावायरस के अब तक छह मामले सामने आए हैं। देशभर से बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए कोटा जाते हैं।
इससे पहले, शुक्रवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजस्थान के कोटा में फंसे छात्रों को वापस लाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विशेष बसें भेजने के फैसले को गलत ठहराया था। उन्होंने एनडीटीवी से कहा - जैसे विशेष बसें कोटा से छात्रों को लाने के लिए चलायी जा रही हैं वो लॉकडाउन के पूरे कॉन्सेप्ट के साथ अन्याय है। बीजेपी के प्रमुख सहयोगी नीतीश कुमार योगी आदित्यनाथ के इस कदम के खिलाफ पहले भी मुखर रहे हैं और इसको लेकर उन्होंने कहा था कि ऐसे समय में जब सोशल डिस्टेंसिंग आवश्यक है और किसी भी तरह से भीड़ का इकट्ठा होना हालात को बिगाड़ सकता है।
हालांकि बिहार सरकार मानती है कि राज्य छात्रों को तो सुविधा प्रदान कर रहे हैं लेकिन जब बात आती है प्रवासी मजदूरों की जो अपने घर लौटने में असमर्थ हैं, तो 'बहाने बनाने' लगते हैं। कुछ दिन पहले जब 300 छात्रों का एक समूह कोटा से टैक्सियों के जरिए पटना पहुंचा था और उनके पास यात्रा के लिए जरूरी दस्तावेज भी मिले थे तब भी बिहार सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को लिखा था।
उत्तर प्रदेश सरकार के सूत्रों ने कहा कि यह कहना गलत है कि उन्होंने प्रवासी मजदूरों के लिए बसें नहीं भेजीं। हमने इससे पहले बसें भेजी थी और कम से कम चार लाख प्रवासी मजदूरों को वापस लाए थे. सूत्रों ने एडीटीवी को बताया, कोटा की स्थिति कुछ अलग है। यहां छात्र-छात्राएं हॉस्टल में रहते हैं और जो बंद हो चुके हैं। यहां तक कि परीक्षाएं भी टल चुकी हैं। इसलिए सही तरीका यही थी कि उन्हें वापस लाया जाए। इसी वजह से हमने यह फैसला लिया।
इससे पहले, शुक्रवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजस्थान के कोटा में फंसे छात्रों को वापस लाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विशेष बसें भेजने के फैसले को गलत ठहराया था। उन्होंने एनडीटीवी से कहा - जैसे विशेष बसें कोटा से छात्रों को लाने के लिए चलायी जा रही हैं वो लॉकडाउन के पूरे कॉन्सेप्ट के साथ अन्याय है। बीजेपी के प्रमुख सहयोगी नीतीश कुमार योगी आदित्यनाथ के इस कदम के खिलाफ पहले भी मुखर रहे हैं और इसको लेकर उन्होंने कहा था कि ऐसे समय में जब सोशल डिस्टेंसिंग आवश्यक है और किसी भी तरह से भीड़ का इकट्ठा होना हालात को बिगाड़ सकता है।
हालांकि बिहार सरकार मानती है कि राज्य छात्रों को तो सुविधा प्रदान कर रहे हैं लेकिन जब बात आती है प्रवासी मजदूरों की जो अपने घर लौटने में असमर्थ हैं, तो 'बहाने बनाने' लगते हैं। कुछ दिन पहले जब 300 छात्रों का एक समूह कोटा से टैक्सियों के जरिए पटना पहुंचा था और उनके पास यात्रा के लिए जरूरी दस्तावेज भी मिले थे तब भी बिहार सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को लिखा था।
उत्तर प्रदेश सरकार के सूत्रों ने कहा कि यह कहना गलत है कि उन्होंने प्रवासी मजदूरों के लिए बसें नहीं भेजीं। हमने इससे पहले बसें भेजी थी और कम से कम चार लाख प्रवासी मजदूरों को वापस लाए थे. सूत्रों ने एडीटीवी को बताया, कोटा की स्थिति कुछ अलग है। यहां छात्र-छात्राएं हॉस्टल में रहते हैं और जो बंद हो चुके हैं। यहां तक कि परीक्षाएं भी टल चुकी हैं। इसलिए सही तरीका यही थी कि उन्हें वापस लाया जाए। इसी वजह से हमने यह फैसला लिया।
COMMENTS