बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। लॉकडाउन के बीच वह लोगों को अवेयर करने के लिए लगातार पोस्ट कर रहे हैं। इस बीच उन्हें पिता हरिवंश राय बच्चन की कविता याद आ गई है। उन्होंने ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह पिता की कविता सुना रहे हैं।
वह वीडियो में कहते हैं, 'है अंधेरी रात पर, दीया जलाना कब मना है, क्या घड़ी थी एक भी चिंता नहीं थी पास आई, कालिमा तो दूर छाया भी पलक पर थी न छाई आंख से मस्ती झपकती, बात से मस्ती टपकती, थी हंसी ऐसी जिसे सुन बादलों ने शर्म खाई, वो गई तो ले गई उल्लास के आधार मानक, पर अधीरता के समय भी मुस्कुराना कब मना है।
T 3495 - I reminisce my Father and his poem, which expresses hope and strength. The singing is exactly how Babu ji recited it at Kavi Sammelans, which I attended with him.— Amitabh Bachchan (@SrBachchan) April 8, 2020
बाबूजी और उनकी आशा भारी कविता को याद करता हूँ । बाबूजी कवि सम्मेलनों में ऐसे ही गा के सुनाया करते थे । pic.twitter.com/CKKtroXA4H
COMMENTS