कोरोना वायरस से मुकाबले में काफी दिनों से पीपीई किट की बड़ी चर्चा हो रही है और कुछ दिनों से तो PPE Kits पर राजनीति भी होने लगी है। तो आइए जानते हैं कि क्या होता है पीपीई किट यानी पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट्स। नाम से ही स्पष्ट है कि ऐसे सामान जिससे संक्रमण से खुद को बचाने में मदद मिले। कोरोना वायरस चूंकि संक्रामक बीमारी है इसलिए इससे बचने के लिए लोग मास्क पहन रहे हैं, बार-बार हाथ साफ कर रहे हैं, लोगों से दूरी बनाकर बात कर रहे हैं। आम लोगों तो मास्क और दास्ताने का इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन कोरोना मरीजों के इलाज में लगे डॉक्टर, नर्स, कंपाउंडर और मेडिकल स्टाफ को सिर से पांव तक वायरस संक्रमण से बचाव के लिए कई तरह की चीजें पहननी होती हैं और ये सारी चीजें पीपीई किट्स हैं।
अलग-अलग बीमारियों के लिए अलग तरह के पीपीई किट्स हो सकते हैं लेकिन आम तौर पर मास्क, ग्लोव्स, गाउन, एप्रन, फेस प्रोटेक्टर, फेस शील्ड, स्पेशल हेलमेट, रेस्पिरेटर्स, आई प्रोटेक्टर, गोगल्स, हेड कवर, शू कवर, रबर बूट्स इसमें गिने जा सकते हैं। इनमें से बहुत कुछ पहने डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ हम-आप आए दिन देखते रहते हैं। इन सारी चीजों का मकसद एक ही है- मरीज से वायरस इलाज कर रहे लोगों में ना फैल जाए। हालांकि हमने दिल्ली समेत पूरे देश में देखा है कि कोरोना मरीजों का इलाज करते-करते कई डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ खुद कोरोना के मरीज बन गए हैं। हालांकि ये साफ नहीं हो पाया है कि इन लोगों में संक्रमण कैसे फैला- इलाज के दौरान पीपीई किट का इस्तेमाल नहीं हुआ या पीपीई किट पहनने के बाद भी कोरोना वायरस ने संक्रमित कर लिया।
पीपीई किट में जितने भी तरह के सामान आते हैं, सबके इस्तेमाल करने के नियम और तौर-तरीके हैं। हर सामान को पहनने का सही तरीका है। ऐसा नहीं हो तो पहनने के बाद भी संक्रमण का खतरा बना रहता है। डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ को इस्तेमाल से पहने ये देखना होता है कि किस तरह के पीपीई किट की जरूरत है। फिर उसे कैसे सही तरीके से पहनना है, एडजस्ट करना है, ये भी देखना होता है। इस्तेमाल के बाद पीपीई किट को सही तरह से कचरे में फेंकना ताकि उससे आगे किसी को संक्रमण ना हो, इसका बहुत ज्यादा ध्यान रखना होता है।
देश में पीपीई किट पर राजनीति भी शुरू हो चुकी है। सोशल मीडिया पर सरकारी प्रयासों से नाखुश लोग कहते हुए मिल जाएंगे कि इस काम के बदले अगर सरकार पीपीई किट्स खरीद लेती तो ज्यादा अच्छा होता। काफी लोग सरकार चला रहे बड़े नेताओं से सुनना चाहते हैं कि देश में पीपीई किट्स के इंतजाम का क्या हाल है क्योंकि कई जगहों से डॉक्टरों ने पीपीई किट्स की कमी की शिकायत की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कोरोना पर बनाए 10 ग्रुप और 1 टास्क फोर्स के प्रमुखों से बैठक में साफ-साफ कहा कि देश में पीपीई बनाने, पहुंचाने और उसे मेडिकल स्टाफ को मुहैया कराने में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए।
केंद्र सरकार ने सोमवार को कैबिनेट मीटिंग में फैसला करके अध्यादेश के जरिए सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLADS) दो साल के लिए सस्पेंड करने का फैसला किया तो कई विपक्षी सांसद कहने लगे कि इस फंड से वो अपने इलाके के अस्पतालों में पीपीई किट खरीद रहे थे। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि उन्होंने सांसद फंड से ही अपने संसदीय क्षेत्र तिरुवनंतपुरम में टेस्ट किट और पीपीई किट का इंतजाम किया है।
Thiruvananthapuram: proud that 1000 more Rapid RT-PCR test kits & 1000 PPE kits delivered to the District Medical Officer today. Final batch of 1000 #rapidtestkits will be delivered on Wednesday & 7500 PPE kits next week. Put my MP funds to good use just before the Govt cut them! pic.twitter.com/G9qo0zI95E— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) April 6, 2020
.@ArvindKejriwal Ji you must answer, Before your voters start questioning you..,You have 400 crores to spend on advertisements but when its an urgency to buy PPE kits for medical and ambulance staff of Delhi government you are making excuses and risking life of Delhiites, SAD.. https://t.co/ZlEO2MfS4Q— Manoj Tiwari (@ManojTiwariMP) April 5, 2020
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