हाथ में कलम के बदले तराजू पकड़े हैं। किताब की जगह आलू, प्याज, टमाटर का मोल भाव सीख रहे हैं। जी हां, लॉकडाउन ने पटना के सरकारी स्कूलों के कई गरीब बच्चों को किताबों से दूर कर दिया है। चेहरे पर मायूसी लिये ये बच्चे इन दिनों सुबह से शाम तक सब्जी बेचते हैं। इससे तीन से चार सौ रुपये की कमाई हो जाती है, ताकि इनका घर चल सके। यह हाल कोई एक नहीं बल्कि शहर के ज्यादातर इलाके में आजकल दिख जाता है। ये बच्चे कहीं ठेला चलाते या फिर कहीं बैठ कर सब्जी बेचते नजर आ जायेंगे। मिलर हाई स्कूल, रामलखन सिंह उच्च विद्यालय, कन्या मध्य विद्यालय अदालतगंज, कन्य मध्य विद्यालय पुलिस लाइन आदि स्कूल के ढेरों बच्चे अभी अपने परिवार को चलाने के लिए सब्जियां बेच रहे हैं।
कन्या मध्य विद्यालय पुलिस लाइन में नौवीं कक्षा में पढ़ रहा छात्र विकास कुमार मंदिरी की गलियों में सब्जी बेच रहा था। उसने कहा कि सब्जी नहीं बेचेंगे तो घर में खाना नहीं बनेगा। बड़ा भाई और पिता राज मिस्त्री का काम करते हैं। उसी से घर चलता था। हम पढ़ाई करते थे। अभी सब बंद है, हम सभी अलग-अलग इलाके में सब्जी बेचते हैं। जो आमदनी होती है उसी से घर चलता है। वहीं, कन्या मध्य विद्यालय अदालतगंज में सातवीं में पढ़ रहा धीरज कुमार एसके नगर में सब्जी बेच रहा है।
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