नेपाल एक तरफ भारत से दूरी बनाने में जुटा है तो दूसरी तरफ चीन से संपर्क बढ़ा रहा है। कोरोना वायरस की वजह से पांच महीने बंद रहने के बाद नेपाल चीन के साथ रसुआगढ़ी बॉर्डर पॉइंट खोलने जा रहा है। दोनों देशों में इसको लेकर सहमति बन गई है। नेपाल की मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, फिलहाल लोगों की आवाजाही नहीं होगी, हाइड्रोपावर और एयरपोर्ट प्रॉजेक्ट के लिए कंस्ट्रक्शन मटेरियल सहित अन्य सामानों की आवाजाही होगी।
कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए नेपाल ने चीन के साथ अपने दोनों बॉर्डर पॉइंट्स तातोपानी और रसुआगढ़ी को 29 जनवरी को बंद कर दिया था। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, रसुआ के चीफ डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर हरि प्रसाद पंत ने कहा कि दोनों देशों के बीच बुधवार को नेपाल-चाइना मैत्री पुल को खोलने पर चर्चा हुई है।
समझौते के मुताबिक, चीन के ट्रक ड्राइवर्स सामान को नेपाल बॉर्डर पॉइंट पर उतार देंगे और उनके जाने के बाद नेपाल के ड्राइवर्स और लोडर्स सामान को संबंधित जगहों पर पहुंचाएंगे। चीन ने नेपाल से 15 ड्राइवर्स और 15 वर्कर्स की सूची मांगी है जो सामानों को बॉर्डर पॉइंट से लाएंगे। शुरुआत में चार ट्रकों को अनुमति मिलेगी और फिर इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी।
रसुआ के चीफ कस्टम ऑफिसर पुण्य बिक्रम खडका ने कहा कि फिलहाल लोगों की आवाजाही नहीं होगी। केवल वर्कर्स और ड्राइवर्स को ही अनुमति दी जाएगी और हर दिन उनका कोरोना टेस्ट किया जाएगा।
रसुआगढ़ी बॉर्डर पॉइंट पुल को पिछले साल चीन की मदद से खोला गया था। पुराना पुल 2015 के भूकंप में नष्ट हो गया था। रसुआगढ़ी के अलावा चीन के साथ दूसरा बॉर्डर पॉइंट कुरुंग में है और दोनों के बीच की दूरी 24 किलोमीटर है। इस समय रसुआगढ़ी बॉर्डर पर कुछ सिक्यॉरिटी ऑफिसर्स और खाली कंटेनर्स हैं।
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